नई दिल्ली। मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और राजस्थान कांग्रेस के नेता सचिन पायलट की उस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने मतदाता सूची को टेक्सट फॉर्मेट में दिए जाने की मांग की थी। इसके अलावा दोनों नेताओं ने वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का आरोप भी लगाया था। बता दें कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि वोटर लिस्ट को ठीक किया जा चुका है। ये याचिका आयोग को बदनाम करने की कोशिश है।
कांग्रेस नेता कमलनाथ और सचिन पायलट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव में पारदर्शिता लागू करने के साथ ही टेक्स्ट फॉरमेट में वोटर लिस्ट सौंपे जाने की मांग की थी। दूसरी तरफ कमलाथ की विधानसभा चुनाव में दस फीसदी बूथों पर वीवीपीएटी का औचक परीक्षण करने की अर्जी पर चुनाव आयोग ने कहा था कि वीवीपीएटी सभी बूथों पर रहेगी, लेकिन कहां पर औचक निरीक्षण हो ये चुनाव आयोग का अधिकार है। इससे पहले चुनाव आयोग ने कमलनाथ पर कोर्ट में फर्जी दस्तावेज देकर उसके सहारे अपने हक का आदेश लेने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। आयोग ने कहा था कि ऐसा करना आईपीसी की धारा 193 के तहत दंडनीय अपराध है, जिसमें सात साल की कैद हो सकती है।
कमलनाथ पर लगा था फर्जीवाड़ा का आरोप
चुनाव आयोग ने कमलनाथ की ओर से दिए गए दस्तावेज पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इस दस्तावेज में कहा गया है कि एक ही नाम की समान 17 महिलाएं मतदाता सूची में दर्ज हैं। एक निजी वेबसाइट से निकाले गए इस दस्तावेज की आयोग ने जांच की और मतदाता सूची से फोटो मिलाकर पाया कि एक समान नाम वाली सभी महिलाएं अलग-अलग हैं और वे वास्तविक मतदाता हैं। हालांकि कमलनाथ की ओर से आरोपों का विरोध करते हुए कहा गया था कि उन्होंने दस्तावेजों का फर्जीवाड़ा नहीं किया है, जो दस्तावेज उन्होंने दिए हैं वे सार्वजनिक हैं और यही उन्होंने ज्ञापन के साथ चुनाव आयोग को भी जांच के लिए दिये थे।
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