भोपाल। आचार संहिता के चलते अध्यापकों की जाे संविलियन प्रक्रिया स्कूल शिक्षा विभाग ने बीच में रोक दी थी, वह दोबारा शुरु हो सकती है। सागर जिले के 7534 अध्यापकों में से पात्र पाए गए 7376 करीब 1802 अध्यापकों के आदेश पर डिजिटल साइन हो गए थे। शेष करीब 5574 अध्यापक इससे मायूस रह गए थे। हालांकि अध्यापकों की नए कैडर में नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा भेजा गया प्रस्ताव शासन द्वारा बनाई गई स्क्रीनिंग कमेटी ने मंजूर कर लिया है। इसे मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के पास भेजा गया था। वहां से चुनाव आयोग के पास भेज दिया गया है।
गौरतलब है कि यह प्रक्रिया स्कूल शिक्षा विभाग ने आचार संहिता लगने के बाद स्थगित कर दी थी। इससे पहले कई जिलों में अध्यापकों के आदेश जारी किए जा चुके थे। बाकी अध्यापकों के आदेश जारी नहीं हो सके थे। विभाग को अब आयोग के आदेश का इंतजार है। गौरतलब है कि जीएडी ने आचार संहिता का जिक्र करते हुए हाल ही में एक आदेश जारी करके यह कहा है कि कोई भी विभाग मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी या चुनाव आयोग को सीधे कोई प्रस्ताव नहीं भेज सकेगा। पहले इसे स्क्रीनिंग कमेटी के पास भेजना होगा। इसी के बाद स्कूल शिक्षा विभाग से मिले प्रस्ताव को स्क्रीनिंग कमेटी की मंजूरी के बाद आयोग को भेजा गया है।
प्रदेश भर में है रोष :
सालों सालों से लंबित शिक्षा विभाग में संविलियन की आस लगाए बैठे अध्यापकों के आदेश जारी होना शुरु हुए ही थी कि 9 अक्टूबर को स्कूल शिक्षा विभाग ने इस पर रोक लगा दी। कारण बताया था कि प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू कर दी गई है। लिहाजा किसी के भी आदेश जारी न किए जाएं। यह बात अलग है कि आचार संहिता 6 अक्टूबर को लागू हुई और 9 अक्टूबर तक आदेश भी जारी होते रहे थे। यह प्रकिया करीब एक माह पहले से चल रही थी, जिसे स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बिना निर्वाचन आयोग के रोकने के बाद अध्यापकों ने इस पर नाराजगी भी जताई थी।
आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाने के बाद भड़के अध्यापक
एक ओर जहां आचार संहिता का हवाला देकर स्कूल शिक्षा विभाग ने अध्यापकों की संविलियन प्रक्रिया रोकी, वहीं वहीं 11 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्यप्रदेश द्वारा आशा कार्यकर्ताओं को प्रति माह मिलने वाली प्रोत्साहन राशि बढ़ाकर 1000 की जगह 2000 रुपए दी जाए। इस पर अध्यापकों ने सवाल उठाया कि जब आचार संहिता के नाम पर हमारी प्रक्रिया बीच में रोकी गई, तो आशा कार्यकर्ताओं को इस तरह का लाभ देते समय आचार संहिता का पालन क्यों नहीं किया गया। शासकीय अध्यापक संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष राममिलन मिश्रा ने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं के जो आदेश हुए, हमें उससे कोई ऐतराज नहीं। सभी को अपना हक मिलना चाहिए। जब यह आदेश जारी हो सकता है तो हमारी रुकी हुई प्रक्रिया दोबारा शुरु करना चाहिए। अध्यापक संविदा शिक्षक संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी ठाकुर शैलेंद्र सिंह गंभीरिया ने भी यही मांग की थी। इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग दबाव में आया और स्क्रीनिंग कमेटी के माध्यम से प्रक्रिया दोबारा शुरु करने के लिए प्रस्ताव चुनाव आयोग के पास भेजा गया है।
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