भोपाल। लगातार 10 बार चुनाव जीतने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने जैसे ही अपनी बहू कृष्णा गौर का नाम आगे बढ़ाया। उनकी अपनी पार्टी भाजपा के कार्यकर्ताओं ने परिवारवाद के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया। शक्ति नगर स्थित भगतसिंह पार्क में मंगलवार को भाजपा कार्यकर्ताओं ने परिवारवाद के खिलाफ सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया। कार्यक्रम में भाजपा नेता आरए गुप्ता, भाजपा प्रदेश कार्य समिति के सदस्य संतोष व्यास समेत कई भाजपाई थे।
क्या भाजपा परिवारवाद का नियम नेता देखकर लागू होता है
अब सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या सारे नियम केवल बाबूलाल गौर के लिए ही हैं। वर्तमान विधानसभा में आधा दर्जन विधायक इसी परिवारवाद के चलते विधायक बने। उनका विरोध क्यों नहीं किया गया। 2018 के चुनाव में भी 25 से ज्यादा नेताओं के पुत्र टिकट के दावेदार हैं। सवाल यह है कि ये निष्ठावान कार्यकर्ता पूरी पार्टी में परिवारवाद का विरोध कर रहे हैं या सिर्फ चुनिंदा नेताओं के लिए यह फार्मूला लागू होता है।
ये विधायक/सत्ताधिकारी हैं परिवारवाद का प्रमाण
कैलाश जोशी ➤ दीपक जोशी (बेटा)
सुंदरलाल पटवा ➤ सुरेंद्र पटवा(भतीजा)
कैलाश सारंग ➤ विश्वास सारंग (बेटा)
सत्येंद्र पाठक ➤ संजय पाठक (बेटा)
गोविंद नारायण सिंह ➤ हर्ष सिंह (बेटा)
थावरचंद गहलोत ➤ जितेंद्र गहलोत (बेटा)
ओमप्रकाश सखलेचा ➤ वीरेंद्र सखलेचा (बेटा)
लक्ष्मीनारायण शर्मा ➤ शैलेंद्र शर्मा (बेटा)
बृजमोहन मिश्रा ➤ अर्चना चिटनीस (बेटी)
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