भोपाल। परिवारवाद और वंशवाद का विरोध करते हुए सत्ता के शिखर पर पहुंची भारतीय जनता पार्टी में अब वंशवाद को सशर्त मंजूरी दे दी गई है। एक तरह का उत्तराधिकार अधिनियम लागू हो गया है। यदि कोई विधायक या मंत्री अपनी सीट अपने उत्तराधिकारी को सौंपना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है। इसे भाजपा में वंशवाद नहीं माना जाएगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने यह स्वीकृति दी है।
केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के समक्ष मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, प्रदेश प्रभारी विजय सहस्त्रबुद्धे, संगठन महामंत्री सुहास भगत प्रदेश, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, धर्मेंद्र प्रधान ने दावेदारों की लिस्ट रखी। शाह ने मप्र चुनाव समिति की बैठक में तय हुए सिंगल नामों पर सहमति दे दी। अब केवल उन मंत्री और विधायकों का काम खराब हुआ जो अपने साथ अपने परिजनों को भी चुनाव लड़ाने के मूड में थे। मंत्री गौरीशंकर शेजवार के बेटे व पत्नी तथा राज्यमंत्री हर्ष सिंह के बेटे का का टिकट काट दिया गया। इसी तरह की खबरें नियमित रूप से प्राप्त करने के लिए कृपया गूगल प्ले स्टोर में भोपाल समाचार डॉट कॉम सर्च करें एवं मोबाइल एप डाउनलोड करें
80 सीटों पर पेंच फंस गया
बैठक में मुख्यमंत्री के स्तर से कराए गए सर्वे, रायशुमारी, संगठन की लिस्ट, इंटेलिजेंस रिपोर्ट और शाह के सर्वे को सामने रखकर बात की गई। करीब 80 सीटें ऐसी हैं, जिन पर 3 से लेकर 5 नाम थे, शाह के सर्वे के बाद उन्हें सिंगल किया गया। बताया जा रहा है कि जिन सीटों पर सारी मशक्कत, जातिगत समीकरण, जीतने की संभावनाओं के बाद भी दो नाम सामने आ रहे हैं, उसके लिए तय किया गया है कि पहले प्रदेश संगठन की ओर से जिम्मेदार नेता और फिर केंद्रीय नेता दोनों से बात करके एक को समझाएं। किसी भी तरह के भितरघात की संभावना नहीं बननी चाहिए।
सांसद भी उतरेंगे चुनाव में
शाह ने भाजपा सांसदों को भी विधानसभा चुनाव लड़ाने पर सहमति दे दी है। अब यह तय किया जाना है कि कितने सांसदों को उतारा जाए। प्रदेश संगठन की ओर से भाजपा सांसद राव उदयप्रताप सिंह, गणेश सिंह, जनार्दन मिश्रा, रीति पाठक, रोडमल नागर, मनोहर ऊंटवाल, चिंतामणि मालवीय, नंदकुमार सिंह चौहान आदि के नाम शाह के सामने रखे गए हैं।
कैलाश ने जितारी का टिकट बचाया, राकेश सिंह ने काट दिया था
इंदौर जिले की राऊ विधानसभा सीट से जीतू जिराती के लिए प्रदेश चुनाव समिति के सदस्य कैलाश विजयवर्गीय ने जोर लगाया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जब प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह की ओर से इस सीट का पैनल बनाया गया तो एक सदस्य ने कहा कि वे तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहते। यह सुनकर विजयवर्गीय ने कहा कि नहीं वे लड़ेंगे। इसके बाद दिल्ली ले जाई जा रही लिस्ट में जिराती का नाम यथावत रखा गया।
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