नवरात्रों के बाद आने वाले त्योहार दशहरा का इंतजार सभी को रहता है। लेकिन रामलीला के बिना दशहरा अधूरा सा लगता है। भारत में कई जगहों पर तो नवरात्र के शुरू होने के साथ ही रामलीला का मंचन शुरू हो जाता है। बात अगर रामलीला की हो रही है तो ये तो सभी जानते हैं कि देश की राजधानी नई दिल्ली जैसी रामलीला कहीं नहीं होती। 10 दिनों तक चलने वाली रामलीला यहां शुरू हो चुकी है और लाखों की संख्या में लोग इसे देखने पहुंच रहे हैं। भारत में जगह-जगह इतनी रामलीला होती हैं, लेकिन आखिर दिल्ली की रामलीला इतनी खास क्यों है। वैसे इसकी एक बड़ी वजह है हाई तकनीक साथ ही ऐसे और भी कई वजहें हैं, जो दिल्ली की रामलीला को आम से खास बनाती हैं। तो चलिए जानते हैं क्यों इतनी मशहूर है दिल्ली की रामलीला और क्या है इसका इतिहास।
दिल्ली की लवकुश रामलीला को हाईटैक रामलीला भी कहा जाता है। पिछले कई दशकों से यहां रामलीला का आयोजन हो रहा है। टेक्नोलॉजी के जमाने में जहां लोगों का रूझान स्टेज परफॉर्मेंस देखने में कम हो गया है, वहां ये देखना दिलचस्प होता है कि लाखों की संख्या में लोग हर साल यहां जुटते हैं।
क्या है लवकुश रामलीला का इतिहास-
दिल्ली में लवकुश रामलीला का इतिहास काफी पुराना है। यहां बहुत पहले से रामलीला का आयोजन होता आया है, लेकिन मुगल शासक औरंगजेब ने 17वीं शताब्दी में रामलीला पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि बाद में उसके उत्तराधिकारियों को कर्ज देकर फिर से इसका आयोजन शुरू किया गया।
- इसके बाद 1719 ई. में मुहम्मद शाह रंगीला गद्दी पर बैठा। बताया जाता है कि बादशाह रंगीला ने लाला सीताराम से सरकारी खजाने के लिए कर्ज मांगा, तो सीताराम ने शर्त रखी कि अगर वो अपनी हवेली में रामलीला का आयोजन कराएगा , तो वह कर्ज देगा। सीताराम की इस मांग को रंगीला ने मान लिया। इसके बाद से नई दिल्ली स्थिति सीताराम बाजार में रामलीला का आयोजन होता रहा।
- आखिरी मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर ने भी रामलीला का आयोजन कराया। लेकिन अंग्रेजों ने इस आयोजन को रोक यहां घोड़ों के लिए अस्तबल बनवा दिया। 1911 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने एक बार फिर रामलीला की शुरूआत की। नवश्री धार्मिक लीला कमेटी और लवकुश रामलीला कमेटी दोनों मिलकर इस मशहूर रामलीला का आयोजन करती हैं। बता दें कि आज भी राजनीतिक हस्तियां विजयदशमी के दिन इस रामलीला का मंचन देखने पहुंचती हैं।
क्या है दिल्ली की रामलीला में ऐसा खास-
- दिल्ली की रामलीला को लाइव दिखाया जाता है। लीला का मंचन फेसबुक, यूट्यूब आदि पर भी लाइव हो रहा है। आयोजकों का मानना है कि दुनियाभर में रामलीला के 25 करोड़ दर्शक हैं। लवकुश रामलीला की शुरूआत 1988 में हुई थी और इसका इतिहास भी काफी दिलचस्प है।
- इस रामलीला की मुख्य आकर्षण होती हैं किरदारों द्वारा पहनी जाने वाले डिजाइनर कॉस्ट्यूूम। लीला के मुख्य किरदार राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान की ड्रेसेस रामायण और महाभारत जैसे नाटकों में ड्रेस डिजाइन करने वाले डिजाइनर्स तैयार करते हैं।
- हाई टेक्नीक ने रामलीला को लोगों के बीच और भी ज्यादा पॉपुलर बना दिया है। अब हनुमान यहां रस्सी के सहारे नहीं बल्कि क्रेन की मदद से उड़ता है। वहीं रामलीला के दृश्य असली लगें इसके लिए एलईडी का इस्तेमाल किया जाता है।
- एक और दिलचस्प बात इस रामलीला की रही है कि इसमें कलाकारों के साथ राजनेता और बॉलीवुड के कलाकार भी हिस्सा लेते हैं। अब तक इसमें राकेश बेदी, मनोज तिवारी , सुरेन्द्र पाल, रविकिशन के साथ ही केंद्रीय मंत्री डॉ.हर्षवर्धन भी इसमें भूमिका निभा चुके हैं।
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