आपसी रार, मौका और नजाकत को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की “जनआशीर्वाद यात्रा” रथ की व्लगायें जबलपुर में थम गई। भाजपा ने ही इस यात्रा को अचानक रोक दिया है। 43 चुनाव क्षेत्र इससे छूट गये हैं। इस सबके पीछे संघ का आदेश कहा जा रहा है। जिसके कारण, भाजपा को अपने मुख्यमंत्री के इस काफिले को रोकना पड़ा। भाजपा और संघ के बीच उम्मीदवारों के चयन को लेकर मतैक्य स्थापित नहीं हो सका है। दोनों एक दूसरे की सूची से अपनी मर्जी के नाम कटवाना और जुडवाना चाहते हैं। यह कवायद अपनी जगह थी और मुख्यमंत्री की यात्रा अलग चल रही थी। संघ को यह चाल पसंद नहीं आई। जन आशीर्वाद यात्रा की शुरूआत 14 जुलाई को उज्जैन से हुई थी। यात्रा को पूरे 230 विधानसभा क्षेत्रों में जाना था। लेकिन यात्रा 187 विधानसभा क्षेत्रों में ही पहुंच पाई। अचानक यात्रा समाप्त होने से 43 विधानसभा क्षेत्र छूट गए।
संघ घोषित रूप से कुछ कहता सुनता नहीं है। मध्यप्रदेश में उसका दखल अपने अनुषांगिक संगठनों में सबसे अधिक भाजपा में है। भाजपा इस हस्तक्षेप से परेशानी महसूस कर रही है। भाजपा के एक जिम्मेवार पदाधिकारी ने पिछली बैठक कि जानकारी मीडिया में बाँट दी तब से यह तनातनी कुछ ज्यादा बड गई। इसी तनातनी के चलते अमित शाह को “समिधा” का द्वार खटखटाना पड़ा। अभी भी 60–70 चेहरे ऐसे हैं जिन्हें भाजपा बदलने में गुरेज कर रही है, लेकिन संघ की दृष्टि में इनकी छबि ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री के जन आशीर्वाद यात्रा में व्यस्त रहने के कारण और प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह अन्य कारणों से समय नहीं दे पा रहे थे। इस तरह का हीलाहवाला संघ को पसंद नहीं है। हमेशा मध्य मार्ग की पक्षधरता और समयबद्धता को परिणाममूलक मानना संघ की परिपाटी है। चुनाव में पूरा समय मिले, इस दृष्टिकोण से संघ ने भाजपा से इस यात्रा को रोकने और मुख्यमंत्री से भोपाल में समय देने का आग्रह किया था।
भाजपा के लोगों की बात माने तो चुनाव की तैयारियों के चलते भाजपा ने ये फैसला किया है। वर्तमान में ये यात्रा जबलपुर में है और यहीं इस यात्रा का समापन हो जाएगा। भाजपा के प्रदेश प्रभारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यात्रा रोके जाने की पुष्टि की है। उनका कहना है कि पार्टी की चुनाव की तैयारियों के चलते यात्रा रोकी गई है। पहले भी अटलजी के निधन के चलते यात्रा 7 दिन के लिए रोकी गई थी। गणेश उत्सव और दुर्गा उत्सव के चलते भी कई स्थानों पर यात्रा को स्थगित करना पड़ा। इस कारण यात्रा के कार्यक्रम में कई बार बदलाव किए गए। बाकी 43 विधानसभा सीटों पर अब मुख्यमंत्री चुनावी दौरा ही करेंगे।
वैसे प्रदेश का चुनावी माहौल किसी से छिपा नहीं है। शिवराज सरकार के एक पूर्व मंत्री भाजपा में संघ के ज्यादा हस्तक्षेप की खुले आम आलोचना भी कर चुके हैं, 2013 के मुकाबले में इस बार इसी सब के चलते टिकटों का फैसला अब तक किसी ने किसी बहाने से टलता रहा अब यह आपसी रार के रूप में बदल रहा है। कुछ संघ को छोड़ना होगा और कुछ भाजपा को। दोनों ही और कुछ-कुछ है, जिससे संवाद की जगह विवाद हो रहा है।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।