इंदौर। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक अधिकारी की याचिका पर शासन को आदेश दिया है कि प्रमोशन लेने से कोई इनकार कर दे तो इसका मतलब यह नहीं कि उसे समयमान वेतनमान का लाभ नहीं दिया जाएगा। जिस वक्त प्रमोशन दिया गया था, उस वक्त उसे बढ़े हुए वेतनमान का लाभ नहीं मिल रहा था। 30 साल की नौकरी पूरी हो गई है तो उसे समयमान वेतनमान का लाभ तमाम सुविधाओं के साथ दिया जाए।
जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा की खंडपीठ ने परदेशीपुरा स्थित आईटीआई में शिल्प अनुदेशक के पद पर पदस्थ अली अहमद खान की याचिका पर यह फैसला दिया। खान को 30 साल पूरे हो गए थे, लेकिन उन्हें वेतनमान का फायदा इसलिए नहीं दिया कि उन्होंने पूर्व में प्रमोशन लेने से इनकार कर दिया था, जबकि प्रमोशन के वक्त उनका वेतनमान नहीं बढ़ा था। खान ने अधिवक्ता आनंद अग्रवाल के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया कि मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने लोकेंद्र कुमार अग्रवाल विरुद्ध मप्र शासन के मामले में पहले ही इसी तरह का फैसला जारी कर दिया है। प्रमोशन और समयमान वेतनमान दोनों अलग-अलग हैं।
30 साल की नौकरी होने पर कर्मचारी, अधिकारी वैसे ही इस सुविधा के लिए पात्र हो जाता है। शासन ने जवाब दिया कि दोनों सुविधाएं किसी कर्मचारी को एक साथ नहीं दी जा सकती। हाई कोर्ट ने शासन के तर्कों को खारिज करते हुए आदेश दिया कि चार महीने में कर्मचारी को समयमान वेतन के साथ तमाम सुविधाएं दी जाएं।
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