ग्वालियर। पिछले दिनों सीएम शिवराज सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि मध्यप्रदेश में एससी-एसटी एक्ट का दुरुपयोग नहीं होने देंगे एवं गिरफ्तारी से पहले मामले की जांच की जाएगी। इसके बाद उन्होंने अपना बयान ट्वीट भी किया। अब हाईकोर्ट ने मप्र शासन को नोटिस जारी कर पूछा है कि शासन आधिकारिक तौर पर स्पष्ट करे कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शब्दश: क्या बयान दिया था। मामले की अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को होगी, जिसमें एसपी रैंक के अधिकारी को शपथ पत्र पर जवाब पेश करने के निर्देश दिए गए हैं।
करैरा (शिवपुरी) के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नेत्र सहायक के पद पर कार्यरत अतेंद्र सिंह रावत (वर्तमान में सागर में पदस्थ) ने अग्रिम जमानत के लिए याचिका पेश की। उनके वकील अतुल गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि आशा कार्यकर्ता ने 19 मई 2018 को पुलिस थाना करैरा में रिपोर्ट दर्ज कराई कि याचिकाकर्ता पैसे दिलाने के एवज में उनसे अनैतिक संबंध बनाने की मांग कर रहा है।
गुप्ता ने यह भी तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के पास इतने अधिकार ही नहीं थे कि वह किसी का भुगतान करा सके? घटना अगस्त 2017 की है और दुर्भावना से प्रेरित होकर लगभग एक साल बाद इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। उन्होंने मुख्यमंत्री के भी बयान का हवाला दिया कि बिना जांच के गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। हालांकि जब कोर्ट ने उनसे इस संबंध में दस्तावेज पेश करने के लिए कहा तो उन्होंने असमर्थता जाहिर की।
बालाघाट में 20 सितंबर को दिया था बयान
बालाघाट जिला मुख्यालय में मीडिया से बात करते हुए 20 सितंबर को मुख्यमंत्री ने कहा था कि एससी-एसटी एक्ट के अंतर्गत जांच के बगैर गिरफ्तारी नहीं होगी। इसके बाद मुख्यमंत्री के ट्विटर अकाउंट पर भी इस आशय की जानकारी पोस्ट की गई। प्रदेश के महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने भी कहा था कि मुख्यमंत्री का यह सैद्धांतिक निर्णय है। राज्य सरकार इस मसले पर प्रारंभिक जांच किए जाने का प्रशासनिक फैसला कर सकती है।
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