नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी के मंत्रीमंडल में मंत्री पॉन राधाकृष्णन ने देश में चल रही ‘#MeToo’ मुहिम पर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ‘विकृत मानसिकता वाले लोगों ने ‘#MeToo’ मुहिम शुरू की है। उन्होंने यह सवाल भी किया कि सालों पहले हुई घटनाओं पर अब आरोप लगाना कहां तक उचित है। बीजेपी नेता ने बुधवार को पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में यह बयान दिया।
केंद्रीय जहाजरानी एवं वित्त राज्य मंत्री राधाकृष्णन ने कहा,‘यदि कोई आरोप लगाता है कि ऐसी चीज हुई.... जब घटना हुई उस वक्त हम पांचवीं कक्षा में एक साथ खेल रहे थे.... तो क्या यह उचित होगा?’ उन्होंने कहा,‘यह (#MeToo मुहिम) विकृत मानसिकता वाले कुछ लोगों के बर्ताव का नतीजा है।’
'#MeToo मुहिम ने देश और महिलाओं की छवि खराब की है'
राधाकृष्णन ने कहा कि ‘मीटू’ मुहिम ने देश और महिलाओं की छवि खराब की है। उन्होंने सवाल किया कि क्या पुरुषों के लिए ऐसे ही आरोप लगाना सही रहेगा। उन्होंने कहा,‘वह तो बड़ा अपमान होगा...क्या यह स्वीकार्य होगा?’
क्या है #MeToo मुहिम
#MeToo के तहत महिलाएं सोशल मीडिया पर अपने साथ वर्षों पूर्व हुए यौन उत्पीड़न के मामले उजागर कर रहीं हैं ताकि समाज का असली चेहरा सामने आ सके और दुनिया को पता चल सके कि महिलाएं किस तरह की प्रताड़नाओं से गुजरतीं हैं।
क्या गैर कानूनी है #MeToo मुहिम
भारत में #MeToo गैरकानूनी नहीं है। आईपीसी की धारा 354 और 376 इस बात की अनुमति देती है कि महिला जीवन में जब भी खुद को सुरक्षित महसूस करे वो शिकायत कर सकतीं हैं। उनसे यह सवाल नहीं किया जाएगा कि एक लम्बा समय बीत जाने के बाद आप यह शिकायत क्यों कर रहीं हैं।
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