भोपाल। राजनीति के समीक्षकों ने जैसी की उम्मीद की जताई थी, कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया को रोकने के लिए लामबंदी शुरू हो गई है। दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और मीनाक्षी नटराजन, सिंधिया के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। रणनीति यह है कि सिंधिया समर्थकों के ज्यादा से ज्यादा टिकट काट दिए जाएं ताकि उन्हे मुख्यमंत्री के पद तक जाने से रोका जा सके।
ज्योतिरादित्य सिंधिया क्या चाहते हैं
मालवा की 48 सीटों को लेकर बवाल मच रहा है। यह वो विधानसभाएं हैं जो आजादी से पहले सिंधिया रियासत में आतीं थीं अत: आजादी के बाद कांग्रेस में इन सीटों को सिंधिया की सीटें माना गाया। ज्योतिरादित्य सिंधिया इन सीटों पर काम कर चुके हैं। उनकी रैलियों और सभाओं में भीड़ भी थी। वो चाहते हैं कि ग्वालियर चंबल के अलावा सिंधिया रियासत में आने वाली सभी सीटों पर उनकी मर्जी से टिकट मिलें।
दिग्गजों की तिकड़ी क्या कहती है
सूत्रानुसार दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और मीनाक्षी नटराजन का कहना है कि इस क्षेत्र में कांग्रेस संगठन मजबूत है। यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के बिना भी चुनाव जीता जा सकता है। सिंधिया को रोकने के लिए मीनाक्षी नटराजन ने दो पाटीदार नेताओं सतनारायण पाटीदार जावद और त्रिलोक पाटीदार गरोठ के सिर पर हाथ रखा है, ताकि पाटीदार नेता हार्दिक पटेल की मदद से इनको टिकट दिलवाया जा सके।
आरक्षित जातियों के नेता गोपाल डेनवाल ने भी टांग फंसा रखी है
हार्दिक पटेल के अलावा देश के बड़े आरक्षित जातियों के नेता गोपाल डेनवाल ने भी मालवा में अपना पांव फसा रखा है। राजस्थान के दलित नेता डेनवाल का मालवा में खासा आधार बताया जाता है और संभावना ये बताई जा रही हैं कि बसपा गठबंधन टूटने के बाद कांग्रेस एमपी और राजस्थान में डेनवाल को अपने साथ मिला लेगी। इसको लेकर दलित नेता डेनवाल की कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ओर गुलाम नबी आजाद के साथ बैठकें भी हो चुकी हैं। यदि दलित नेता डेनवाल का कांग्रेस से तालमेल बैठा तो वे भी मालवा में टिकट की मांग कर सकते हैं।
सबकुछ सिंधिया को सीएम बनने से रोकने के लिए
समीक्षकों का कहना है कि इसमें कुछ भी अप्रत्याशित नहीं है। यह सबकुछ ज्योतिरादित्य सिंधिया को सीएम बनने से रोकने के लिए है। सब जानते हैं कि कांग्रेस में सीएम वही बनेगा जिसके गुट में सबसे ज्यादा विधायक होंगे। इसलिए सभी दिग्गज ज्यादा से ज्यादा टिकट अपने समर्थकों को दिलाना चाहते हैं। कमलनाथ का स्पष्ट मत है कि यदि सिंधिया समर्थक विधायकों की संख्या घट गई तो उनकी सारी समस्याएं ही दूर हो जाएंगी। सूत्रों का कहना है कि दिग्विजय सिंह खुद सीएम बनना नहीं चाहते परंतु वो ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ को भी सीएम की कुर्सी तक नहीं पहुंचाना चाहते। उनके पास अपने 2 नाम हैं।
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