BHOPAL: मध्यप्रदेश की पहली ट्री एम्बुलेंस छतरपुर के विपिन अवस्थी ने पेड़ों की सेहत का ख्याल रखने के लिए बनाई है। इस ट्री एम्बुलेंस में विशेषज्ञों की टीम भी शामिल हैं जो कि पेड़ों का नियमित ट्रीटमेंट करती है। हर संडे साढ़े तीन घंटे अभियान चलाकर सार्वजनिक स्थानों पर लगे पेड़ों की देखरेख करते हैं। इसी के तहत अब तक 2 हजार से ज्यादा पेड़ों का इलाज किया जा चुका है। ट्री एम्बुलेंस में कुल 18 लोगों की टीम पेड़ों को बचाने में जुटी हुई है। पेड़ों का ट्रीटमेंट करने के साथ ही नए पेड़ लगाकर उनकी नियमित देखरेख भी की जा रही है। सामाजिक संस्था संगम सेवालय के संचालक विपिन अवस्थी ने बताया कि 3 साल से बुंदेलखंड में सूखा है। हरियाली तेजी से कम होती जा रही थी।
इसी को देखते हुए दो माह पहले जुलाई 2018 में उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए ट्री एम्बुलेंस की शुरुआत की। हर रविवार सुबह 7 बजे से 10:30 बजे तक पेड़ों की देखरेख करते हैं। छुट्टी के दिन या फिर किसी के बुलावे पर पेड़ों का इलाज करने एम्बुलेंस लेकर पहुंच जाते हैं। जहां पेड़ों की कटाई, आसपास साफ-सफाई और दीमक वाले पेड़ों में दवा आदि का छिड़काव और खाद डालने जैसे काम किए जाते हैं।
उद्यानिकी विभाग से रिटायर्ड आरएस सेन, बॉटनी की प्रोफेसर डॉ. कुसुम कश्यप, बागवानी विशेषज्ञ अंजू अवस्थी, श्रीराम गंगेले, केएन सोमन, नीरज दीक्षित, अजय चतुर्वेदी, राजेश मिश्रा, डॉ. राजेश अग्रवाल, शंकर सोनी सहित कुल 18 लोगों की टीम शामिल हैं। जो पेड़ों को कब पानी या खाद देना है उनका क्या ट्रीटमेंट करना है तय करते हैं। ट्री एम्बुलेंस में गैंती, फावड़ा, गड्ढा, खोदने की मशीन, कटर, कैंची, पचा, आरी, पानी की टंकी, खाद की बोरी, दवा डालने की मशीन रहती है।
उद्यानिकी विभाग से रिटायर्ड आरएस सेन, बॉटनी की प्रोफेसर डॉ. कुसुम कश्यप, बागवानी विशेषज्ञ अंजू अवस्थी, श्रीराम गंगेले, केएन सोमन, नीरज दीक्षित, अजय चतुर्वेदी, राजेश मिश्रा, डॉ. राजेश अग्रवाल, शंकर सोनी सहित कुल 18 लोगों की टीम शामिल हैं। जो पेड़ों को कब पानी या खाद देना है उनका क्या ट्रीटमेंट करना है तय करते हैं। ट्री एम्बुलेंस में गैंती, फावड़ा, गड्ढा, खोदने की मशीन, कटर, कैंची, पचा, आरी, पानी की टंकी, खाद की बोरी, दवा डालने की मशीन रहती है।
विपिन के मुताबिक बीते दो माह में पेड़ों के इलाज के दौरान सबसे ज्यादा समस्या दीमक की ही मिली है। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि पेड़ों के लिए दीमक सबसे ज्यादा खतरनाक है। इसके इलाज के लिए एम्बुलेंस में क्लोरोपायरीफॉस नाम की दवा हमेशा रहती है। इसका दीमक वाले स्थान पर छिड़काव किया जाता है।