नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में फर्जी मतदाता सूची के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों के बीच चल रही बहस खत्म हो गई है। पिछली पेशी पर चुनाव आयोग ने कमलनाथ पर फर्जी दस्तावेज पेश करने का आरोप लगाया था। सोमवार 08 अक्टूबर 18 को कमलनाथ के वकील ने बताया कि मतदाता सूची चुनाव आयोग ने ही उपलब्ध कराई थी। दोनों पक्षों की बहस खत्म होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
दिल्ली के पत्रकार श्री सुशील पांडेय की रिपोर्ट के अनुसार कमलनाथ की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हुई। कमलनाथ की ओर से वकील कपिल सिब्बल कोर्ट में पेश हुए। कमलनाथ भी कोर्ट में मौजूद थे। सिब्बल ने कहा कि हमने चुनाव आयोग को मध्य प्रदेश की मतदाता लिस्ट में गड़बड़ी संबंधी जानकारी दी थी। सुनवाई में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, फोटो के साथ 13 मतदाताओं की सूची आयोग को नहीं दी गई। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि लिस्ट में फोटो गलत थी या फिर मतदाता ही फर्ज़ी थे। कमलनाथ के वकील कपिल सिब्बल के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के इस सवाल पर चुनाव आयोग ने कोई जवाब नहीं दिया।
चुनाव आयोग ने कोर्ट में बताया कि पहली मतदाता सूची इस साल जनवरी में ड्राफ्ट हो गयी थी। फिर मई में उसमें संशोधन किया गया। आयोग ने आगे कहा कि मतदाता सूची ठीक कर दी गई है। कांग्रेस कोर्ट से अपने पक्ष में फैसला चाहती है।
कांग्रेस ने हैरानी जताई कि चुनाव आयोग यह कैसे कह सकता है कि हमारे खिलाफ कार्रवाई हो, जबकि खुद चुनाव आयोग ने ही यह लिस्ट दी है। पीसीसी चीफ कमलनाथ की विधान सभा चुनाव में दस फीसदी बूथों पर वीवीपीएटी का औचक परीक्षण करने की अर्जी पर भी सुनवाई हुई। इसमें चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, वीवीपीएटी सभी बूथों पर दी जाएगी लेकिन कहां पर औचक निरीक्षण हो यह आयोग का अधिकार है। इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिया है।
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