भोपाल। अधिकारियों ने आचार संहिता के नाम पर असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया को अटका दिया है। अधिकारियों का कहना है कि अब चयनित असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्तियां चुनाव बाद ही हो सकेंगी। बता दें कि असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा पूर्ण हो चुकी है। अब केवल नियुक्तियां शेष हैं। आरोप है कि चुनाव में भाजपा को नुक्सान ना हो इसलिए प्रक्रिया को अटकाया गया है।
दिसंबर-2017 में जारी हुआ था विज्ञापन
उच्च शिक्षा विभाग ने पीएससी के जरिए 12 दिसंबर-2017 को असिस्टेंट प्रोफेसर के 2968 पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। 15 जनवरी-2018 से आवेदन भरने की प्रक्रिया शुरू हुई। इस बीच परीक्षा स्थगित हो गई। फिर दोबारा फॉर्म मंगाए गए। जून में परीक्षा हुई। 17 जुलाई को पहला रिजल्ट घोषित हुआ। सितंबर में चयनित उम्मीदवारों के दस्तावेजों का सत्यापन शुरू किया गया। यह काम भी अभी अधूरा है। यानी महीनों में पूरी प्रक्रिया निपटाकर नियुक्ति करने का जो दावा था, उसके लिए पीएससी और उच्च शिक्षा विभाग ने पूरा साल लगा दिया है। ये हालात तब हैं, जब इस भर्ती से साक्षात्कार की प्रक्रिया हटा दी गई। मेरिट के आधार पर ही चयन किए गए हैं।
भाजपा को वोट के लिए अटकाई गई प्रक्रिया
असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा के उम्मीदवारों की नियुक्ति में देरी के पीछे अतिथि विद्वानों का पेंच भी है। उच्च शिक्षा विभाग असिस्टेंट प्रोफेसर के जिन 3500 पदों पर भर्ती कर रहा है, उन पर इस वक्त अतिथि विद्वान काम कर रहे हैं। नए असिस्टेंट प्रोफेसर इन्हीं पदों पर नियुक्ति होंगे। समझा जा रहा है कि सरकार अतिथि विद्वानों को नाराज नहीं करना चाहती है। इसलिए पूरी प्रक्रिया को चुनाव तक टाला जा रहा है।
ये दिया टालने वाला जवाब
असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा में चयनित उम्मीदवारों के दस्तावेज मंगवाए हैं। उनके डाटा को ऑनलाइन करने का काम बाकी है। इतने सारे उम्मीदवारों की एंट्री करने में समय तो लगता है। नियुक्ति को लेकर फैसला शासन स्तर पर होगा। हम अपनी तरफ से डाटा ऑनलाइन करने का काम कर रहे हैं।
जगदीशचंद्र जटिया, अपर संचालक, उच्च शिक्षा
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