भोपाल। भारत की लोकसभा की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी कहा है कि आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि क्या केवल आरक्षण देते रहने से हमारे देश का उद्धार संभव हो सकेगा? उन्होंने कहा कि वे आरक्षण की विरोधी नहीं हैं लेकिन ये सोचना जरूरी है। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने केवल 10 साल आरक्षण देने की बात कही थी ताकि समाज के पिछड़े लोग भी सबके साथ खड़े हो सकें। उन्होंने कहा कि क्या उनके सामूहिक उत्थान की कल्पना पूरी हुई, क्या इस पर कभी चिंतन हुआ। वह लोकमंथन 2018 के समापन समारोह की मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थीं।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने रविवार को कहा कि बतौर भारतीय, व्यक्ति को देश के बारे में सोचना चाहिए और इस पर विचार करना चाहिए कि कैसे उसकी संस्कृति और सभ्यता को आगे ले जाया जा सकता है। उन्होंने यहां चार दिवसीय ‘लोकमंथन’ कार्यक्रम के आखिरी दिन अपने समापन संबोधन में कहा कि दुनिया भारतीय संस्कृति को सम्मान की नजर से देखती है। लेकिन क्या हम इस ओर देख रहे हैं कि यह आत्मनिरीक्षण का मामला है।
लोकसभा अध्यक्ष ने इस लोकमंथन में बुद्धिजीवियों द्वारा भारत के निर्माण पर तीन दिन तक विचार मंथन करने की प्रशंसा की जिसका ध्येय वाक्य जन गण मन है। उन्होंने प्रदर्शनकारियों द्वारा सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाये जाने पर अफसोस प्रकट किया कहा कि वे ऐसा कर करदाताओं के पैसे की बर्बादी करते हैं, ‘‘इस विषय पर ‘राष्ट्रभावना होनी चाहिए।’’
महाजन ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा लोकमंथन के उद्घाटन के मौके पर दिये गये भाषण का हवाला दिया जिन्होंने कहा था कि राष्ट्र सबसे पहले आना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को जन गण और मन (लोग, समाज और मस्तिष्क) के बारे में सोचना चाहिए। लोगों को देश के इतिहास और साहित्य के बारे में जानना चाहिए।’’
महिलाओं के विषय में उन्होंने कहा, ‘‘महिलाओं के सम्मान का बड़ा महत्व है। महिलाएं समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा है और उनके बगैर समाज आगे नहीं बढ़ेगा।’’
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