नई दिल्ली। देश के मनोनीत मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सोमवार को बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा- शायद लोग जाति, वर्ग, लिंग, धर्म और विचारधारा के मामले में पहले से कहीं ज्यादा बंटे हुए हैं। क्या पहनना चाहिए, क्या खाना चाहिए या क्या कहना चाहिए, ये निजी जिंदगी के छोटे और बेमतलब सवाल नहीं रह गए हैं। ये चीजें हमें खास पहचान और उद्देश्य देते हैं और हमारे लोकतंत्र की महानता को समृद्ध करते हैं, पर ये वे मुद्दे हैं जो हमें बांटते हैं। वे हमें उन लोगों से नफरत करवाते हैं जो कुछ अलग हैं।
मान्यताओं का लगातार मूल्यांकन होना चाहिए
उन्होंने कहा कि संवैधानिक नैतिकता की कसौटी पर मान्यताओं का लगातार मूल्यांकन होना चाहिए। यह संशय और संघर्ष की स्थिति में और मजबूत होना चाहिए, संविधान के प्रति यही सच्ची राष्ट्रभक्ति है। जस्टिस गोगोई मंगलवार को सेवानिवृत्त हो रहे चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के सम्मान में रखे गए कार्यक्रम में बोल रहे थे। यह कार्यक्रम सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से रखा गया था।
चुनौती साझा वैश्विक नजरिया की हिफाजत करने की है
जस्टिस गोगोई ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के शानदार करियर के लिए उनकी तारीफ की। उन्होंने कहा कि नागरिक स्वतंत्रता के मामले में उनका बहुत ज्यादा योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि चुनौती एक साझा वैश्विक नजरिया बनाने और उसकी हिफाजत करने की है। यह हमें एक समुदाय के रूप में एकजुट करती है। ऐसा साझा नजरिया संविधान में पाया जा सकता है।
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