भोपाल। यूं तो अब घोषणा पत्र का कोई मूल्य नहीं रहा। कुछ चुनाव तो ऐसे भी हुए जहां चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में घोषणा पत्र जारी किए गए। मध्यप्रदेश में भी विधानसभा चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस बार नया यह है कि पार्टियों को अपने घोषणा पत्र चुनाव आयोग में जमा कराने होंगे। उनके घोषणा पत्रों का परीक्षण किया जाएगा और उसे रिकॉर्ड पर लिया जाएगा। यह सबकुछ सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश के सीईओ वीएल कांताराव ने पार्टियों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए बताया कि चुनावी घोषणा-पत्र जारी होने के तीन दिन के भीतर उसकी तीन प्रति राज्यों में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को सौंपें। घोषणा पत्र में कोई ऐसा वादा नहीं करें जिसे पूरा नहीं किया जा सके। इस प्रति का पहले मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) द्वारा परीक्षण किया जाएगा।
क्या होता है घोषणा पत्र
सार्वजनिक रूप से अपने सिद्धान्तों एवं इरादों (नीति एवं नीयत) को प्रकट करना घोषणापत्र (manifesto') कहलाता है। इसका स्वरूप प्रायः राजनीतिक होता है किन्तु यह जीवन के अन्य क्षेत्रों से भी सम्बन्धित हो सकता है। चुनावों में घोषणा पत्र के माध्यम से राजनीतिक पार्टियां यह बतातीं हैं कि यदि वो जीत गईं तो क्या क्या करेंगी। मध्यप्रदेश और देश की प्रमुख खबरें पढ़ने, MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करें) या फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com