नई दिल्ली। दिल्ली के दरवाजे पर डटे किसानों के साथ भारत भर के तमाम किसानों के लिए भारत सरकार की ओर से गुडन्यूज आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में किसानों को राहत देने वाला फैसला हुआ है। कैबिनेट ने गेहूं सहित 5 फसलों का न्यूनतन समर्थन मूल्य बढ़ाने का फैसला किया है।
सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 105 रुपए बढ़ाकर 1840 रुपए प्रति क्विंटल करने का फैसला लिया है। जौ का न्यूनतम समर्थन मूल्य 30 रुपए बढ़ाकर 1440 रुपए, चने की एमएसपी 220 रुपए बढ़ाकर 4620 रुपए, मसूर की एमएसपी 225 रुपए बढ़ाकर 4475 रुपए और सूरजमुखी की एमएसपी 845 रुपए से बढ़ाकर 4945 रुपए करने का भी फैसला सरकार ने लिया है।
गेहूं का समर्थन मूल्य 1,735 रुपये से बढ़कर 1,840 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।
सरसों का समर्थन मूल्य 4000 से बढ़ाकर 4,200 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
चना का समर्थन मूल्य 4400 से बढाकर 4,620 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
मसूर का समर्थन मूल्य 4250 से बढाकर 4,475 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है।
कुसुम का समर्थन मूल्य 4100 से बढाकर 4945 रूपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
जौ का समर्थन मूल्य 1410 से बढाकर 1440 रूपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
गेहूं का समर्थन मूल्य 1,735 रुपये से बढ़कर 1,840 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।
सरसों का समर्थन मूल्य 4000 से बढ़ाकर 4,200 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
चना का समर्थन मूल्य 4400 से बढाकर 4,620 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
मसूर का समर्थन मूल्य 4250 से बढाकर 4,475 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है।
कुसुम का समर्थन मूल्य 4100 से बढाकर 4945 रूपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
जौ का समर्थन मूल्य 1410 से बढाकर 1440 रूपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
गौरतलब है किसान अपनी फसलों के वाजिब दाम की मांग कर रहे हैं और इसके तहत कल किसानों ने दिल्ली में काफी उग्र प्रदर्शन किया था। सरकार ने आंदोलनकारी किसानों को समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया था, लेकिन किसान सरकार से ठोस फैसले की मांग कर रहे थे।
एमएसपी में भारी वृद्धि से बड़े पैमाने पर किसानों का भला होगा, ऐसा भी नहीं है। अनाज की सरकारी खरीद कुल पैदावार का मुश्किल से 30 फीसद ही होती है। अगर कुल किसानों की बात करें तो सरकारी खरीद से सीधे तौर पर लाभ उठाने वाले किसानों की संख्या 15-20 फीसद होती है।
मोदी सरकार बार-बार यह कह रही है कि वह वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लिए संकल्पबद्ध है और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक के बाद एक कदम भी उठाए जा रहे हैं, लेकिन किसानों की हालत में उतनी तेजी से सुधार होता हुआ नहीं दिखता जिससे यह माना जाने लगे कि अगले चार सालों में खेती मुनाफे का सौदा बन जाएगी।
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