नई दिल्ली। राफेल डील में पीएम नरेंद्र मोदी सरकार पूरी तरह से फंसती जा रही है। शायद पहली बार है जब जनता संदेह करने लगी है और भाजपा के कार्यकर्ता भी पूरे भरोसे के साथ नहीं कह पा रहे हैं कि राफेल डील में कोई गड़बड़ी नहीं हुई। हालात यह हैं कि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भी राफेल विमान की कीमत नहीं बताई।
यह गोपनीय दस्तावेज हैं, कोर्ट को भी नहीं बता सकते: मोदी सरकार
राफेल डील की जांच के लिए दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने सरकार से सील बंद लिफाफे में विमान की कीमत और रणनीतिक जानकारी मांगी। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए केंद्र को 10 दिन का वक्त दिया। सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा कि राफेल विमान की कीमत का मामला एक्सक्लूसिव है और कुछ दस्तावेज ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत आते हैं। उसके विवरण कोर्ट से साझा नहीं किए जा सकते। इसके बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अगर ऐसा है तो आप कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताएं कि जानकारी साझा क्यों नहीं की जा सकती?
याचिका में CBI जांच की मांग की थी लेकिन...
शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा कि वह राफेल डील के बारे में उस जानकारी का खुलासा करे जो तार्किक रूप से सार्वजनिक की जा सकती है। वह याचिकाकर्ताओं के साथ भारतीय आॅफसेट पार्टनर चुनने से जुड़ी जानकारी भी साझा करे। याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट की निगरानी में राफेल डील की जांच सीबीआई से कराने की मांग की। सीजेआई ने कहा कि अभी इसके लिए वक्त लग सकता है। पहले उन्हें (सीबीआई को) अपना घर (विभाग) तो व्यवस्थित कर लेने दो। यह याचिका वकील प्रशांत भूषण, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी की ओर से दायर की गई है।
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