नई दिल्ली। हल्ला मच गया है। भारत सरकार और आरबीआई अब आमने सामने हैं। आरबीआई एक्ट का सेक्शन 7 झगड़े की मूल जड़ है। आरबीआई की स्थापना से लेकर आज तक किसी भी सरकार ने आरबीआई एक्ट के सेक्शन 7 का उपयोग नहीं किया परंतु नरेंद्र मोदी सरकार ने इसका उपयोग करने की कोशिश की है। सरल शब्दों में कहें तो आरबीआई जिसे स्वायत्त संस्था कहा जाता है, को नियंत्रित करने की कोशिश की गई है। हालात यह बने कि आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे तक की चर्चाएं शुरू हो गईं। सवाल यह उठने लगा है कि क्या आरबीआई एक्ट का सेक्शन 7 उपयोग में लिए जाने के बाद जनता का पैसा बैंक में सुरक्षित रहेगा।
क्या है आरबीआई एक्ट का सेक्शन 7
दरसअल आरबीआई एक्ट का सेक्शन 7 भारत सरकार को एक पॉवर देता है, जिसके अनुसार सरकार आरबीाआई गवर्नर को आदेश दे सकती है और उसके काम में हस्तक्षेप कर सकती है, ऐसा वो देश की जनता के लिए कर सकती है क्योंकि सरकार को जनता चुनती है। ये सेक्शन स्वतंत्रता के बाद अब तक उपयोग में नहीं किया गया है इसलिए ये कैसे काम करेगा इस पर किसी को जानकारी नहीं है। बस इतना कहा जा रहा है कि यदि सरकार ने आरबीआई एक्ट का सेक्शन 7 की शक्तियों का उपयोग शुरू कर दिया तो बैंक की स्वायत्ता यानि आजादी खत्म हो जाएगी।
मामला क्या है
ईटी में छपी खबर के मुताबिक सरकार ने रिजर्व बैंक को पिछले दिनों कई पत्र भेजे हैं, ये पत्र सेक्शन 7 के अधिकार के तहत भेजे गए हैं। इसमें NBFC के लिए नकदी, कमजोर बैंकों के लिए पूंजी और एसएमई को लोन जैसे मुद्दे शामिल हैं। आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने इस पर कहा है कि सरकार आरबीआई के रिजर्व पर पर रेड न करे।
क्या सरकार बैंक में जमा धन अधिगृहित कर सकती है
आरबीआई एक्ट के सेक्शन 7 का जिक्र आते ही लोगों में घबराहट शुरू हो गई है। वो इसके बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं। लोग अब तक यह जानते थे कि यदि उनका बैंक बंद भी जाए तब भी आरबीआई उनके जमाधन का वापस दिलाएगा लेकिन सेक्शन 7 के चर्चाओं में आने के बाद लोग समझ नहीं पा रहे हैं। क्या आरबीआई दूसरे सरकारी विभागों की तरह एक विभाग मात्र बनकर रह जाएगा जिसकी कोई जवाब देही नहीं होगी। क्या सरकार जैसे सड़कों के लिए जमीन अधिगृहित कर लेती है, वैसे ही जनहित और विकास कार्यों के लिए बैंक में जमा एफडी/सेविंग का पैसा भी अधिगृहित कर सकती है।
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