भोपाल। पदोन्नति में आरक्षण प्रकरण सुनवाई हेतु मान सर्वोच्च न्यायालय में दिनांक 2 नवंबर 2018 को सूचीबद्ध हुआ है। चूंकि सभी राज्यों/ केंद्र शासन की याचिकाएं एक साथ एक ही बेंच को गई हैं जिन पर अलग अलग विचार किया जावेगा अत: मप्र का प्रकरण आने में अभी समय लगेगा।
उल्लेखनीय है कि दिनांक 30.04.2016 को मप्र उच्च न्यायालय ने मप्र पदोन्नति नियम 2002 खारिज कर दिए थे तथा गलत पदोन्नत अनु जाति/ जनजाति वर्ग के सेवकों को पदावनत कर वर्ष 2002 की वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नतियां करने के निर्देश दिए थे। उक्त आदेश के विरुद्ध मप्र शासन सर्वोच्च न्यायालय में चला गया था। दिनांक 12.05.2016 को मान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रकरण में यथास्थिति के आदेश दिए थे। अनेक राज्यों के ऐसे ही प्रकरणों में केंद्र शासन द्वारा एम नागराज प्रकरण में मान सर्वोच्च न्यायालय के वर्ष 2006 के निर्णय पर ही प्रश्न खड़ा कर दिया गया।
दिनांक 29.09.2018 को 5 जजों की संविधान पीठ ने एम नागराज प्रकरण में पुनर्विचार की संभावना से मना कर दिया। मान न्यायालय ने यह भी कहा कि अनु. जाति/ जनजाति के पिछड़ेपन को साबित करने के लिए आंकड़े जुटाने की आवश्यकता नहीं होगी किन्तु क्रीमीलेयर निर्धारित करना होगी। अब उक्त निर्णय के आधार पर मान सर्वोच्च न्यायालय की मान न्यायधीश कुरियन जोजेफ व मान जस्टिस अब्दुल नजीर की पीठ हर राज्य के प्रकरण प्र अलग अलग सुनवाई कर फैसला देगी।
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