भोपाल। विजयराघौगढ़ से भाजपा के प्रत्याशी एवं शिवराज सिंह सरकार में मंत्री संजय पाठक की संपत्ति में सीधे 104.22 करोड़ रुपए बढ़ गए। चुनाव आयोग में दिए गए प्रत्याशियों के हलफनामे में 2013 में संजय पाठक की संपत्ति 121.32 करोड़ रु. थी जो अब 225.54 करोड़ हो गई है।
संजय पाठक मूलत: कांग्रेस के नेता हैं परंतु उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली थी। भाजपा मेें उनका भारी विरोध था बावजूद इसके उन्हे मंत्री भी बनाया गया। तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह ने खुलकर स्वीकार किया कि शिवराज सिंह ने वचन दिया था, जो निभाया गया। संजय पाठक खदान कारोबारी हैं। पिछले चुनाव में पाठक सबसे दौलतमंद विधायक थे। यदि इस बार जीते तो भी दौलतमंद ही रहेंगे।
संजय पर भाजपा ने शिकंजा कस दिया था
कहा जाता है कि संजय पाठक ने मजबूरी में भाजपा ज्वाइन की। दरअसल पुश्तैनी खदान व्यावसायी रहे संजय की खदानों में अनियमितता को लेकर सरकार ने जिस तरह उनके ऊपर दबाब डाला, उसने संजय को भाजपा में शामिल होने पर मजबूर कर दिया था। कांग्रेस के विधायक रहने के दौरान प्रदेश सरकार ने लगातार चार साल तक उनकी खदानों की लीज रिन्यू नहीं की थी। संजय के अनुसार उनकी कंपनियों के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए गए थे। उन पर करोड़ों रुपए का जुर्माना लगाया गया था। जब तक वे भाजपा में शामिल नहीं हुए तब तक उन्हें कटनी, सतना, शहडोल, अनूपपूर जहां-जहां उनकी खदानें हैं वहां प्रशासन द्वारा परेशान किया गया। उन पर लगभग 5 हजार करोड़ के अवैध उत्खनन का आरोप भी लगाया गया।
भाजपा ज्वाइन करते ही सारे दाग धुल गए
2012 में संजय पाठक के परिवार की खदानों की लीज का नवीनीकरण चार साल से नहीं करने का आरोप लगाया गया और कहा गया कि पाठक परिवार पिछले चार सालों से अवैध उत्खनन कर सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना लगा रहा है। आरोप लगा कि पाठक परिवार ने अकेले सिहोरा में लीज समाप्त होने के बाद भी यहां से करीब 50 लाख टन लौह खनिज निकाला, जिसकी कीमत करीब 5,000 करोड़ रुपए बैठती है।इसे लेकर मामला भी दर्ज किया गया जिसके तहत एक्ट में डेढ़ साल से छह साल की सज़ा औऱ जुर्माने का प्रावधान था। भाजपा में आने के बाद न केवल उन पर लगे सारे आरोप धुल गए बल्कि वे शिवराज मंत्रिमंडल में स्थान पाने में भी सफल रहे।
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