नई दिल्ली। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, रुपये में गिरावट और चालू खाते के घाटे की वजह से विदेशी पोर्टफोलियो वाले निवेशकों में भी डर का माहौल है। इस वजह से उन्होंने अक्टूबर महीने में पूंजी बाजार से 38,900 करोड़ रुपये की निकासी की है। यह दो साल की सबसे बड़ी निकासी है। इसी के साथ 2018 में अब तक विदेशी निवेशकों ने प्रतिभूति बाजार (शेयर एवं ऋण) से कुल एक लाख करोड़ रुपये से अधिक निकाले हैं। इस दौरान, शेयर बाजार से 42,500 करोड़ रुपये और ऋण बाजार से 58,800 करोड़ रुपये की निकासी हुई।
डिपॉजिटरी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अक्टूबर के दौरान 28,921 करोड़ रुपये के शेयर बेचे और ऋण बाजार से 9,979 करोड़ रुपये की निकासी की। इस तरह एफपीआई ने कुल 38,900 करोड़ रुपये (5.2 अरब डॉलर) निकाले हैं। यह नवंबर 2016 के बाद से अब तक की सबसे बड़ी निकासी है। नवंबर 2016 में निवेशकों प्रतिभूति बाजार से 39,396 करोड़ रुपये निकाले।
विदेशी निवेशक इस साल कुछ महीने (जनवरी, मार्च, जुलाई और अगस्त) को छोड़कर बाकी समय शुद्ध बिकवाल रहे। इन चार महीनों में विदेशी निवेशकों ने कुल 32,000 करोड़ रुपये का निवेश किया। मार्निंगस्टार के वरिष्ठ विश्लेषक प्रबंधक (शोध) हिंमाशु श्रीवास्तव ने कहा, 'फेडरल रिजर्व के ब्याज दर बढ़ाने की आशंका, कच्चे तेल के बढ़ते दाम, रुपये में गिरावट, चालू खाते के घाटे की खराब होती स्थिति, राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को सीमित दायरे में रखने में सरकार की क्षमता आदि कारकों का प्रभाव देश के वृहत-आर्थिक स्थिति पर पड़ने के आसार है। निवेशकों के लिये यह चिंता विषय है।'
इसे निवेशकों के लिए चिंता का विषय बताते हुए श्रीवास्तव ने कहा, 'देश में होने वाले आगामी चुनाव और अमेरिका तथा चीन के बीच व्यापार मोर्चे पर बढ़ता तनाव भी भारत जैसे उभरते बाजारों के शेयर बाजारों को प्रभावित कर सकता है।'
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