नई दिल्ली। नोटबंदी को 2 साल पूरे होने के बाद भी इस पर बहस जारी है। राहुल गांधी (RAHUL GANDHI) सहित कांग्रेस और विपक्ष के कई नेता इसे आम जनता पर अत्याचार और घोटाला बताते हैं जबकि पीएम नरेंद्र मोदी सहित कुछ भाजपा नेता इसे सही ठहराते हैं। अब एक सरकारी रिपोर्ट सामने आई है। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के कृषि मंत्रालय ने संसदीय समिति को एक रिपोर्ट सौंपी है जिसमें बताया गया है कि रिपोर्ट के मुताबिक दो साल पहले नोटबंदी की वजह से लाखों किसानों को बीज और उर्वरक खरीदने के लिए नकदी की किल्लत हो गई थी। जमींदारों को भी किसानों को भुगतान करने और बीज खरीदने के लिए परेशानी हुई थी। देश के 26 करोड़ किसान अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए नकदी पर ही निर्भर रहते हैं।
गलत समय पर हुई थी नोटबंदी: कृषि मंत्रालय
सरकार ने 8 नवंबर 2016 को रात 12 बजे से नोटबंदी लागू की थी। इसके तहत 500 और 1000 के पुराने नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया कि नोटबंदी ऐसे समय लागू हुई जब किसानों के लिए खरीफ की फसल बेचने और रबी की फसल बोने का वक्त होता है। इन दोनों के लिए लेन-देन नकदी में ही होता है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक बाजार में नकदी की कमी की वजह से नेशनल सीड कॉरपोरेशन का भी 1.38 लाख क्विंटल गेहूं का बीज नहीं बिक पाया था। गेहूं रबी के सीजन की प्रमुख फसल है। देश के 300 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इसकी बुवाई होती है।
नोटबंदी से किसानों को भारी नुक्सान हुआ: कृषि मंत्रालय
कृषि मंत्रालय के मुताबिक सरकार ने गेहूं के बीजों की खरीद के लिए पुराने नोटों में भुगतान करने की इजाजत दी थी लेकिन, फिर भी खरीद तेज नहीं हो पाई। एक दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद सभी फसलों की कीमतें गिर गई थीं। सब्जियों और फलों के रेट पर इसका ज्यादा असर हुआ क्योंकि, उनके लिए कोई समर्थन मूल्य भी लागू नहीं होता।