नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के स्वतंत्र अस्तित्व को मिटाने की तैयारी कर ली है। गवर्नर उर्जित पटेल की इस्तीफे की धमकी ने असर तो दिखाया परंतु मात्र 4 दिनों के लिए। समाचार एजेंसी रायटर्स के अनुसार सरकार हर हाल में 3.6 लाख करोड़ रुपये हासिल करने के लिए रिजर्व बैंक पर दवाब बनाती रहेगी। उर्जित पटेल के इस्तीफा देने के बाद भी।
केंद्र सरकार ने बीते हफ्ते से कहा था कि वह आरबीआई की स्वायत्तता का सम्मान करती है। सूत्रों का कहना है कि 19 नवंबर को बोर्ड की मीटिंग के दौरान सरकार कोई बड़ा फैसला कर सकती है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, हम चाहते हैं कि गवर्नर हमारी प्राथमिकता स्वीकार करें और बोर्ड मेंबर्स के साथ उसकी चर्चा करें। अधिकारी ने कहा, यदि वह एकतरफा निर्णय लेना चाहते हैं, तो उनके लिए छोड़ना बेहतर होगा।
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने 27 अक्टूबर को अपने एक भाषण में चेताया था कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता से छेड़छाड़ ‘विनाशकारी’ साबित हो सकती है। विरल आचार्य ने 27 अक्टूबर को कहा था कि जो भी सरकार केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता का सम्मान नहीं करती उसे देर-सबेर वित्तीय बाजारों की नाराजगी का सामना करना पड़ता है। विरल आचार्य ने एक स्मारक व्याख्यान में कहा था, ‘प्रभावी स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है जिससे जो भी अधिकार (रिजर्व बैंक कानून में) दिये गये हैं उनको व्यवहार में लाया जा सके।
इससे पहले सूत्रों ने बताया था कि वित्त मंत्रालय ने पिछले कुछ सप्ताह में सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों में त्वरित सुधारात्मक कदम (पीसीए) की रूपरेखा से लेकर प्रणाली में नकदी प्रबंधन तक के मुद्दों पर रिजर्व बैंक को तीन अलग पत्र जारी कर धारा सात के तहत विचार विमर्श का जिक्र किया है।
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