भारत में 41 प्रतिशत कर्मचारियों को लगता है कि उनकी सैलरी कम है, उन्हें और सैलरी मिलनी चाहिए. इस मामले में भारत दुनिया में चौथा देश है जहां कर्मचारियों की कम सैलरी को लेकर शिकायत है. इससे पहले ऐसा सोचने वाले देश हैं-बांग्लादेश, पाकिस्तान और मंगोलिया. यह चारों देश 22 देशों वाले एशिया-प्रशांत देशों में सबसे खराब हालत में हैं. यह स्थिति शुक्रवार को जारी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की एक रिपोर्ट में बताई गई है.
हर दो में एक कर्मचारी महसूस करता है असुरक्षित
रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में करीब 93 करोड़ कर्मचारी कमजोर रोजगार की स्थिति से गुजर रहे हैं. इसमें संगठन ने कहा है कि इन देशों को अपने यहां रोजगार के स्तर में सुधार लानी चाहिए. हालांकि इस संबंध में कोई तय संख्या नहीं है लेकिन इस क्षेत्र में 48.6 प्रतिशत कर्मचारी खुद को कमजोर मानते हैं. बताया गया है कि वर्ष 2020 में ऐसे कर्मचारियों की हिस्सेदारी 49 प्रतिशत रहेगी. यानी हर दो कर्मचारी में एक अपनी नौकरी को लेकर असुरक्षित महसूस करता है. इसमें कम सैलरी और काम करने की कम अनुकूल स्थिति शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 31 प्रतिशत भारतीय कर्मचारी प्रतिकूल स्थिति में नौकरी करने को मजबूर हैं.
भारत की स्थिति खराब
भारत में यह समस्या अधिक है. मिंट की खबर के मुताबिक, एक्सएलआरआई जमशेदपुर के प्रोफेसर के. आर. श्याम सुंदर कहते हैं कि यहां संगठित क्षेत्र में खराब गुणवत्ता और कम सैलरी की नौकरी करने को कर्मचारी मजबूर हैं. हालांकि संगठित क्षेत्र का श्रम क्षेत्र में लगातार योगदान अच्छा संकेत है. सरकार को जॉब की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा. संगठित क्षेत्र में कम अवधि के लिए कॉन्ट्रैक्ट आधारित जॉब से मदद नहीं मिलेगी.