जबलपुर। क्या कोई पार्टी किसी ऐसे व्यक्ति को विधानसभा का टिकट दे सकती है जो उसका प्राथमिक सदस्य तक ना हो। नीलम मिश्रा के मामले में ऐसा ही हुआ है। भाजपा ने उन्हे 2013 में टिकट दिया। वो विधायक चुनी गईं और 2018 में उन्होंने पद से इस्तीफा भी दे दिया परंतु चौंकाने वाली बात यह है कि वो भाजपा की प्राथमिक सदस्य ही नहीं हैं।
नीलम मिश्रा ने आरोप लगाया कि सांसद जनार्दन मिश्रा ने उन्हे पार्टी का प्राथमिक सदस्य तक नहीं बनने दिया। उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी और स्पष्ट किया कि अब वो भाजपा के लिए काम नहीं करेंगी। उनके पति व पूर्व भाजपा नेता अभय मिश्रा इस बार कांग्रेस के टिकट पर प्रत्याशी हैं। नीलम ने कहा कि वो अपने पति का प्रचार करेंगी।
नीलम ने प्रदेश के उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ल और सांसद जनार्दन मिश्र पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि राजेन्द्र शुक्ल और जर्नादन मिश्रा ने उनके विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य नहीं होने दिया। दोनों नेताओं ने विधायक निधि के अलावा अन्य एक भी कार्य विधानसभा क्षेत्र के अंदर नहीं होने दिया। आरोप लगाया कि मंत्री रहे राजेन्द्र शुक्ला के गलत कार्यों का पति अभय मिश्रा ने विरोध किया तो कई तरह से प्रताडि़त कराया गया।
उन्होंने कहा कि जहां पार्टी के लोग ही विरोध कर रहे हैं, वहां रहने का क्या फायदा। इसलिए मैंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। बीजेपी में रहकर पांच साल तक अपमानित होकर बिताए। बीते दिनों मेरे पति ने भी भाजपा में सम्मान ना मिलने पर कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी।
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