भोपाल। मध्यप्रदेश चुनाव 2018 में किसी पार्टी और नेता की लहर नहीं है लेकिन एक लहर जरूर है। आम आदमी अब नेताओं से हिसाब पूछने लगा है। तुलनात्मक अध्ययन किए जा रहे हैं। पता लगाया जा रहा है कि राजनीति समाज सेवा है या पूरी तरह से कारोबार बन गई है। एक आंकड़ा सामने आया है जो चौंकाने वाला है। आम आदमी से लेकर व्यापारियों तक मध्यप्रदेश में औसत प्रतिव्यक्ति आय मात्र 53% ही बढ़ी है जबकि नेताओं की आय में 153% का इजाफा हुआ है।
कांग्रेस सत्ता से बाहर लेकिन विधायकों की आय 208 बढ़ गई
पत्रकार श्री हरेकृष्ण दुबोलिया की रिपोर्ट कई सवाल खड़े करती है। बड़ा सवाल यह कि क्या राजनीति अब व्यवसाय हो गई है। समाजसेवा का ढोंग किया जा रहा है। रिपोर्ट बताती है कि भाजपा विधायकों की आय 137.6 फीसदी तो कांग्रेस विधायकों की आय 208.03 फीसदी की दर से बढ़ी है। अभी मप्र में प्रति व्यक्ति सालाना आय लगभग 80 हजार रुपए है, जबकि विधायकों की आय 23.65 लाख रुपए। 2013 में प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 52 हजार रुपए तो विधायकों की सालाना आय 18.87 लाख रुपए थी। पांच साल में प्रति व्यक्ति आय में सालाना करीब 28 हजार रुपए का फर्क आया है, लेकिन विधायकों की आमदनी पौने पांच लाख रुपए बढ़ चुकी है।
हलफनामे में दी जानकारी:
यह निष्कर्ष चुनाव लड़ रहे मौजूदा 169 विधायकों के चुनावी हलफनामे में दिए गए आय के ब्योरे के आधार पर निकाला गया है। हलफनामे में जनप्रतिनिधियों की आय का स्रोत उनके कारोबार, कृषि और प्रॉपर्टी से मिलने वाले किराए को बताया गया है। सबसे ज्यादा आमदनी परिवहन व गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह की बढ़ी है, जबकि सर्वाधिक सालाना आय वाले कटनी के संजय पाठक की आय में 73.71 फीसद की कमी आई है।
कमाई के मामले में गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह सबसे आगे
प्रदेश के 28 मंत्रियों में से 23 की आमदनी में भारी इजाफा हुआ है। 5 मंत्री ऐसे हैं, जिनकी सालाना आमदनी में गिरावट आई है। सबसे ज्यादा 1229.76% की दर से भूपेंद्र सिंह की आय में बढ़ोतरी हुई है। सबसे कम बढ़ोतरी 5.15% विस अध्यक्ष सीतासरन शर्मा की आमदनी में हुई है।