भोपाल। शिक्षा विभाग के नियम स्लेट पर बत्ती से लिखे जाते हैं, फिर कभी भी बदल दिए जाते हैं। एक और नियम स्लेट से मिटा दिया गया और पुरानी परंपरा लागू कर दी गई। अब 9वीं और 11वीं की वार्षिक परीक्षा का प्रश्नपत्र जिला स्तर पर ही तैयार किए जाएंगे। पहले भी ऐसा ही होता था। तब लोकल में पेपर लीक होने और सरकारी शिक्षकों के ट्यूशन माफिया बन जाने का आरोप लगाकर सारे सिस्टम का सेंट्रलाइजेशन किया गया था। अब फिर से विकेंद्रीकरण किया जा रहा है।
लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) ने एक प्रस्ताव तैयार किया है। पिछले सत्र में उज्जैन व रीवा में पेपर आउट होने के बाद पूरे प्रदेश में 9वीं एवं 11वीं की परीक्षा निरस्त हो गई थी। इससे खासी परेशानी हुई थी। इस सत्र से वार्षिक परीक्षा के पैटर्न में बदलाव कर दिया गया है। अब 9वीं व 11वीं के वार्षिक परीक्षा के पेपर जिला स्तर पर ही तैयार किए जाएंगे। इस परिवर्तन से सरकारी स्कूल के बच्चों के शैक्षणिक स्तर में सुधार के साथ प्रश्नपत्र आउट होने की स्थिति में पूरे प्रदेश की परीक्षा निरस्त नहीं करनी पड़ेगी।
ज्ञात हो कि अब तक माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) की ओर से दोनों परीक्षाओं के पेपर तैयार किए जाते थे, लेकिन इस शिक्षण सत्र की मुख्य परीक्षा में माशिमं की बजाए डीपीआई की ओर से पेपर तैयार किए जाने की योजना बनाई गई है। यह निर्णय डीपीआई आयुक्त जयश्री कियावत द्वारा लिया गया है। धीरेन्द्र चतुर्वेदी, संयुक्त संचालक, डीपीआई ने दलील दी है कि इस बार से 9वीं व 11वीं का प्रश्नपत्र डीपीआई तैयार करेगा। इससे प्रश्नपत्र आउट नहीं होंगे। बच्चों को फायदा मिलेगा।
फिर माशिमं में क्यों पेपर बनाए जाते थे
बड़ा सवाल यह है कि यदि सिस्टम गलत था तो लागू ही क्यों किया गया। दरअसल, उन दिनों दलील दी गई थी कि जिला स्तर पर पेपर तैयार होने से लीक हो जाते हैं। टीचर्स ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चों को पेपर रटा देते हैं। इससे पक्षपात होता है। लोकल में पेपर तैयार होने से हाईस्कूल के टीचर और प्रिंसिपल पॉवरफुल हो जाते हैं और वो स्टूडेंट्स का सालभर शोषण करते हैं।
तो फिर क्या करें कि दोनों समस्याएं हल हो जाएं
माशिमं में पेपर तैयार कराए जाएं। प्रदेश 52 जिलों के लिए 52 पेपर तैयार कराए जाएं। यह इंटरनेट का जमाना है। सरकार डिजिटल हो गई है। शिक्षा विभाग मोबाइल एप और पोर्टल पर चल रहा है। सभी 52 पेपर रेंडम सर्कुलेशन सिस्टम के तहत भेज दिए जाएं। किस जिले में कौन सा पेपर जा रहा है, किसी को पता भी नहीं चलेगा। लीक हो गया तो सारे प्रदेश की परीक्षा रद्द नहीं करनी होगी। चाहें तो मूल्यांकन में नार्मलाइजेशन सिस्टम का उपयोग करें। फिर किसी के साथ अन्याय का प्रश्न ही नहीं उठता।
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