भोपाल। माना कि चुनाव लोकतंत्र के लिए अनिवार्य है, लेकिन क्या इतना जरूरी है कि सारा का सारा तंत्र ही चुनाव में झौंक दिया जाए। आम जनता की सुनवाई ही ना हो। बेहतर प्रबंधन तो उसे ही कहेंगे ना कि आम जनता को तकलीफ भी ना हो और चुनाव भी सम्पन्न हो जाएं परंतु ऐसा कुछ मध्यप्रदेश में नहीं हो रहा है। विधानसभा चुनाव के लिए अब सिर्फ 9 दिन बाकी हैं। इस दौरान सरकारी दफ्तरों में सिर्फ चुनावी काम होंगे। आम जनता से जुड़े दूसरे काम अब 29 नवंबर के बाद ही होंगे।
अगले चार दिन अधिकारी-कर्मचारियों के चुनाव की अंतिम ट्रेनिंग में निकलेंगे।
जो अधिकारी-कर्मचारी ट्रेनिंग नहीं लेंगे, उनकी ड्यूटी ईवीएम की कमीशनिंग में लगी है।
इसके बाद एक दिन रविवार के कारण दफ्तर बंद रहेंगे।
सोमवार से फिर चुनाव सामग्री वितरण की तैयारी प्रारंभ हो जाएगी।
चुनाव ट्रेनिंग इस बार दो पालियों में 20 से 23 नवंबर के बीच होगी।
तीन घंटे चलने वाली पहले सत्र की ट्रेनिंग सुबह 10 बजे से जबकि दूसरे सत्र की दोपहर 2 बजे से होगी।
कुल मिलाकर अगले 9 दिन चुनाव के नाम पर स्वाहा कर दिए जाएंगे। इस दौरान सभी प्रकार की सरकारी सेवाएं भगवान भरोसे रहेंगी। लोगों की सुनवाई के लिए अधिकारी अपने कक्ष में नहीं होंगे, होंगे भी तो सुनवाई नहीं करेंगे। चुनाव के अलावा कुछ नहीं होगा।