भोपाल। इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट( Engineering and management) STUDENTS की प्रैक्टिकल नॉलेज बढ़ाने के लिए ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) ने पहल की है। रट्टा मारकर याद करने की प्रवृत्ति को खत्म करने के लिए एआईसीटीई ने परीक्षा नीति में सुधार किया है। इससे देशभर के इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट छात्रों की बल्ले-बल्ले हो गई है।
अगले सत्र से इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहे छात्र एक्जाम हाल में किताब लेकर जा सकेंगे। यानी इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेजों में वर्ष 2019 से छात्र परीक्षा में किताब देखकर प्रश्न पत्र हल कर सकेंगे। केंद्र सरकार ने एआईसीटीई की परीक्षा सुधार नीति को अपनी मंजूरी दे दी है। हालांकि, इसका यह मतलब नहीं है कि इंजीनियरिंग छात्रों को सभी परीक्षाओं में किताब खोलकर लिखने की पूरी छूट मिलेगी। ओपन बुक एक्जाम सिस्टम उन्हीं परीक्षाओं में लागू होगा, जहां कॉलेज इसकी जरूरत समझेंगे।
एक्टिविटी की बढ़ाई जाएगी संख्या / The number of activities will be increased
एआईसीटीई का उद्देश्य अवधारणा को समझाना है। किसी स्थिति का विश्लेषण करना, समस्या को संश्लेषित करना और बदले में समाधान खोजना, रचनात्मकता, ग्रुप एक्टिविटी, टीम वर्क, सेमिनार. क्विज आदि भी छात्रों के मूल्यांकन प्रणाली के आधार होंगे। ओपन बुक (खुली किताब) से परीक्षा देने का मकसद रट्टा लगाकर परीक्षा पास करने की प्रवृति पर रोक लगाना है। ओपन बुक एक्जाम पॉलिसी से छात्रों को अपना कौशल परखने में मदद मिलेगी। इससे उनकी नॉलेज भी बढ़ाई जाएगी।
मूल्यांकन के मांगे सुझाव / Suggestions of evaluation
एआईसीटीई ने परीक्षा सुधार नीति में छात्रों के मूल्यांकन के कई तरीके सुझाए हैं। कुछ परीक्षाएं कन्सेप्ट को समझने के साथ उसे याद रखने की क्षमता पर भी आधारित होंगी, लेकिन इनकी संख्या सीमित होंगी। परीक्षा में कम प्रश्न पूछने की सलाह दी है, जिसमें दो या तीन अवधारणाएं शामिल हैं।
इंटर्नशिप करना अनिवार्य होगा / Internship will be mandatory
नए नियमों के मुताबिक डिग्री कोर्स यानी बीई/बीटेक कर रहे छात्रों के लिए 600 से 700 घंटे की इंटर्नशिप करना अनिवार्य होगा। वहीं डिप्लोमा कर रहे छात्रों को 450 से 500 घंटे इंटर्नशिप करना होगा। डिग्री कोर्स कर रहे इंजीनियरिंग छात्रों को 14 से 20 क्रेडिट हासिल करने होंगे। वहीं डिप्लोमा कोर्स कर रहे छात्रों को 10 से 14 क्रेडिट हासिल करने होंगे।
3 स्तर पर अंकों का विभाजन / Divide the digits at 3 levels
अब इंजीनियरिंग एक्जाम के प्रश्नपत्र में तीन स्तर पर अंकों का विभाजन होगा। बीटेक, एमटेक, एमबीए प्रोग्राम में 36 फीसदी प्रश्नों का हल समझ के आधार पर देना होगा, जबकि 46 फीसदी प्रश्न प्रायोगिक आधार पर होंगे। इसके अलावा 18 फीसदी प्रश्न मूल्यांकन व विश्लेषण आधारित होंगे।
प्रयोग, विश्लेषण और शोध पर रहेगा जोर /The emphasis will be on experimentation, analysis and research
देश में तकनीकी शिक्षा व्यवस्था, उसकी परीक्षा और प्रश्नपत्र की गुणवत्ता लंबे समय से चिंता का कारण रही है। अभी डिग्री के बाद भी 50 फीसदी छात्रों को रोजगार नहीं मिल पाता है। एआईसीटीई की परीक्षा सुधार समिति ने इन्हीं दिक्कतों का हल निकालते हुए जो सिफारिशें की हैं, उसे परीक्षा सुधार नीति में लागू किया गया है। अब तक परीक्षा में 95 फीसदी सवाल रट्टा वाले होते थे। नए परीक्षा प्रारूप में प्रयोग, विश्लेषण, मूल्यांकन और शोध पर जोर रहेगा। अब अभ्यास व नए प्रयोग से ही परीक्षा पास की जा सकेगी।
यह किया बदलाव / Changes
- परीक्षा के प्रारूप में प्रोजेक्ट आधारित लर्निंग मॉड्यूल, मिनी प्रोजेक्ट, इंटर्नशिप एक्सपीरियंस व ई-पोर्टफोलियो शामिल होगा।
- डिजाइन ओरिएंटेड कोर्स ओपन बुक एक्जाम में शामिल होगा। इसके अलावा आउटकम और परफॉरमेंस आधारित मूल्यांकन शिक्षा पर जोर रहेगा।