भोपाल। भारतीय जनता पार्टी ने सर्कस की तरह चला टिकट वितरण का खेल खत्म हो गया है। मप्र के इतिहास में पहली बार भाजपा में इस तरह का विद्रोह देखने को मिला। 50 से ज्यादा ऐसे दमदार नेता निर्दलीय या दूसरी पार्टियों के टिकट पर मैदान में हैं जो या तो जीतने की क्षमता रखते हैं या फिर भाजपा की हार का कारण जरूर बनेंगे। इससे पहले कि वो पार्टी पर हमला करें, भाजपा ने उन पर हमला करने की रणनीति बना है।
विद्रोहियों से निपटने के लिए क्या करेगी भाजपा
सबसे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता बागियों के घर जाएंगे और उन्हे समझाने की कोशिश करेंगे।
बागियों को पद का लालच दिया जाएगा।
बागियों को संगठन में बड़ा पद से लेकर सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा तक देने की पेशकश कीजाएगी।
कुछ बागियों को लोकसभा के टिकट का वचन भी दिया जाएगा।
भाजपा के प्रचार में शामिल होने के लिए उन्हे कुछ विशेष सुविधाएं दी जाएंगी।
बागियों की मनोकामनाएं पूरी करने की कोशिश की जाएंगी।
साम-दाम से भी नहीं माने तो फिर क्या करेगी भाजपा
भाजपा की दूसरी टीम बागियों की कुण्डलियां बना रही है।
विद्रोहियों एवं उनके परिजनों के अपराध, घोटालों की लिस्ट बनाई जा रही है।
बागियों के सामने यह लिस्ट रखकर सरेंडर करने को कहा जाएगा।
उन्हे डराया जाएगा कि बीच चुनाव में गिरफ्तारी भी हो सकती है।
फिर भी अड़े रहे तो क्या करेंगे
बागियों के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायतों का अभियान चलाया जाएगा।
कुछ नेताओं को इस काम पर लगाया जाएगा कि वो बागियों की पोल खोल दें।
सोशल मीडिया पर विद्रोहियों को बदनाम कर दिया जाएगा।
बागियों को इस तरह से उलझाया जाएगा कि वो अपने प्रचार पर समय ही ना दे पाएं।
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