भोपाल।
भारतीय जनता पार्टी में यह एतिहासिक बगावत दर्ज हुई है। तमाम मान-मनौवल के
बावजूद 53 बागी अपने समर्थकों के साथ डटे हुए हैं। अंतत: भाजपा ने सभी को
निष्कासित कर दिया। इनमें कांग्रेस के टिकट पर उतरे सरताज सिंह और निर्दलीय
ताल ठोक रहे पूर्व सांसद रामकृष्ण कुसमरिया के नाम शामिल हैं। बता दें कि
कुसमरिया को भाजपा ने अपना स्टार प्रचारक भी बनाया था।
बुधवार
देर शाम धर्मेंद्र प्रधान, विनय सहस्त्रबुद्धे, कैलाश विजयवर्गीय, राकेश
सिंह ने बैठक में इन बागियों के निष्कासन का फैसला लिया। इसके आदेश जिला
मुख्यालयों को भेज दिए गए हैं। वहीं कांग्रेस के 14 बागी मैदान में डटे
हैं। उन्हें मनाने की कोशिशें बेकार रहीं। झाबुआ से पूर्व विधायक जेवियर
मेड़ा को पार्टी ने तत्काल निष्कासित कर दिया। इस बीच, पूरे प्रदेश में
दिनभर में 556 प्रत्याशियों ने नाम वापस लिए। 9 नवंबर तक 4157 प्रत्याशी
मैदान में थे, अब 2907 ही बचे हैं।
डागा माने, कुसमरिया अड़े:
इससे
पहले दिन में कुसमरिया को मनाने के लिए हेलिकॉप्टर से प्रभात झा उनके घर
पहुंचे, पर उन्हें डेढ़ घंटे इंतजार के बाद खाली हाथ लौटना पड़ा। वहीं भोपाल
की हुजूर सीट से निर्दलीय खड़े पूर्व विधायक जितेंद्र डागा ने शिवराज सिंह
चौहान से मुलाकात के बाद पर्चा वापस ले लिया। उधर, विदिशा जिले की शमशाबाद
सीट से निर्दलीय उतरे पूर्व वित्त मंत्री राघवजी ने भी अमित शाह के कहने पर
नामांकन वापस ले लिया।
इन्हे भाजपा से ज्यादा खुद पर भरोसा
भिंड से भाजपा विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह सपा टिकट पर उतरे हैं।
गुना की बमोरी सीट से पूर्व मंत्री केएल अग्रवाल भी नहीं माने।
पूर्व मोर्चा अध्यक्ष धीरज पटैरिया,
बैरसिया से पूर्व विधायक ब्रह्मानंद रत्नाकर,
पुष्पराज गढ़ सीट से पूर्व विधायक सुदामा सिंह,
ग्वालियर दक्षिण से पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता,
बाबूलाल मेवरा,
राजकुमार मेव नहीं माने।
वहीं उषा सक्सेना,
शाजापुर
से बागी जेपी मंडलोई सरीखे कई दिग्गजों ने भाजपा उम्मीदवारों की नींद उड़ा
दी है। शाजापुर में भाजपा प्रत्याशी अरुण भीमावद और बागी मंडलोई दोनों ही
पाटीदार समाज के होने से वोट बंटेंगे।
इन बागियों को मिल गई मनमानी डील
सुसनेर
से दावेदारी कर रहे गो-संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक
(भाजपा) संतोष जोशी, बड़नगर में पूर्व विधायक पुत्र जितेंद्र पंड्या,
नागदा-खाचरौद भाजपा के दयाराम धाकड़ ने नाम वापस ले लिया। अब यहां
भाजपा-कांग्रेस में सीधा मुकाबला होगा। शुजालपुर में भाजपा से असंतुष्ट
राजेंद्रसिंह राजपूत ने अपना नाम वापस ले लिया है।
उज्जैन
जिले में बगावत खत्म नहीं हो सकी। उज्जैन दक्षिण में राजेद्र वशिष्ठ के
सामने बागी जयसिंह दरबार (दिग्विजय समर्थक) और उज्जैन उत्तर में राजेंद्र
भारती के सामने माया त्रिवेदी (कमलनाथ समर्थक) निर्दलीय मैदान में हैं।
महिदपुर से कांग्रेस के बागी दिनेश जैन (बोस) मैदान में है। जैन को
निर्वाचन अधिकारी ने ट्रैक्टर चलाता हुआ किसान चुनाव चिह्न भी आवंटित कर
दिया है। जैन पिछले चुनाव में इस सीट से 51 हजार वोट हासिल कर चुके हैं।
जोबट
सीट से बागी निर्दलीय प्रत्याशी विशाल रावत को भी पार्टी ने बाहर का
रास्ता दिखा दिया गया है। कांग्रेस के बड़े बागी नामों में ग्वालियर दक्षिण
से बसपा प्रत्याशी साहिब सिंह गुर्जर, राजनगर से पूर्व सांसद सत्यव्रत
चतुर्वेदी के पुत्र नितिन चतुर्वेदी, केदार डाबर (दिग्विजय समर्थक)
भगवानपुरा से मैदान में है।
पंधाना से रूपाली
बारे, घोड़ाडोंगरी से पूर्व मंत्री प्रताप सिंह उइके चुनाव लड़ रहे हैं।
इन्हें मनाने की कोशिशें बेकार रहीं। शहपुरा में कांग्रेस प्रत्याशी
भूपेंद्र मरावी की मौसी ने उनके समर्थन में नाम वापस ले लिया है। ऐसे ही
जावरा से किसान नेता डीपी धाकड़ ने नाम वापस ले लिया है, लेकिन कांग्रेस के
दूसरे बागी हमीर सिंह राठौर ने पर्चा वापस नहीं लिया है। इस सीट पर बागी
होने से कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।
मंदसौर
में निर्दलीय फार्म भरने वाले महेंद्र पाटीदार ने अपना नाम वापस ले लिया
है, जिसके चलते उन्हें आज ही कांग्रेस में उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दे
दी गई है। सुसनेर से राणा विक्रम सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
आगर-मालवा से मधु गेहलोत ने नाम वापस नहीं लिया। इनके मैदान में डटे रहने
से कांग्रेस से ज्यादा नुकसान भाजपा को उठाना पड़ेगा। क्योंकि सपाक्स संगठन
के वे वाेट उन्हें मिलेंगे जो अब तक भाजपा मिलते हैं।
बुरहानपुर
से सुरेंद्र सिंह उर्फ शेरा भैया निर्दलीय मैदान में है जो पार्टी के
प्रत्याशी रविंद्र महाजन के लिए मुसीबत पैदा करेंगे। मंदसौर जिले में
सुवासरा से कांग्रेस के जिला कार्यवाहक अध्यक्ष व पूर्व जिपं सदस्य ओमसिंह
भाटी बागी बन गए। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन के
कहने के बाद भी फॉर्म वापस नहीं लिया। वे कांग्रेस प्रत्याशी हरदीप सिंह
डंग के लिए परेशानी बनेंगे। गरोठ से कांग्रेस नेता व पूर्व जनपद अध्यक्ष
तूफानसिंह सिसौदिया ने नामांकन वापस नहीं लिया। पूर्व सांसद नटराजन की सारी
कोशिशें विफल रही। वे पूर्व मंत्री व कांग्रेस प्रत्याशी सुभाष सोजतिया के
लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं।