बुरहानपुर। हाईकोर्ट में लंबित वर्ष 2010 के वक्फ बोर्ड मीटिंग के फर्जी टीए-डीए बिल के चलते नामांकन निरस्त होने के डर से कांग्रेस प्रत्याशी हमीदउद्दीन काजी ने दिल्ली पहुंचकर सूची से अपना नाम कटवा लिया है। अब हाईकमान मंगलवार को जिलाध्यक्ष अजयसिंह रघुवंशी, पूर्व विधायक रवींद्र महाजन, नूर काजी या सुरेंद्रसिंह शेरा में से एक के नाम की घोषणा कर सकता है।
कांग्रेस से टिकट फाइनल होने के बाद से प्रदेश उपाध्यक्ष व प्रत्याशी हमीदउद्दीन काजी हैरान-परेशान थे। क्योंकि फर्जी टीए-डीए बिल को लेकर हाईकोर्ट के अधिवक्ता भी स्पष्ट नहीं कर पा रहे थे कि नामांकन निरस्त होगा या नहीं। ऐसे में हमीदउद्दीन ने जिलाध्यक्ष अजयसिंह रघुवंशी और हाईकमान से चर्चा की।
दिल्ली हाईकमान के तलब करने पर जिलाध्यक्ष के साथ काजी अपना नाम हटवाने के लिए दिल्ली पहुंचे। यहां हाईकमान में प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ, सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह, दीपक बाबरिया, अहमद पटेल, पूर्व सांसद अरुण यादव में मंथन हुआ। जिसमें काजी ने पूरे मामला स्पष्ट कर दिया।
करीब पांच घंटे तक बैठक चली। इसमें हाईकमान ने बुरहानपुर के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई। जिसमें जिलाध्यक्ष अजयसिंह रघुवंशी, पूर्व विधायक रवींद्र महाजन, नूर काजी काे लिया। हाईकमान अब तीनों में से एक नाम फाइनल करेगी और भोपाल से प्रत्याशी की घोषणा करेगी। सूत्रों के अनुसार हाईकमान ने तीनों को चुनाव की तैयारी के लिए कह दिया है।
जानिए...ये है पूरा मामला
2010 हमीदउद्दीन काजी वक्फ बोर्ड अध्यक्ष थे। ये तब बोर्ड संबंधी मीटिंग में भोपाल जाते थे। इसके लिए उन्हें टीए-डीए के रुप में भत्ता मिलता था। उन्होंने दो वाउचर पर अपने हस्ताक्षर कर दिए। जिसमें से 920 रुपए का एक वाउचर उस खर्च में निकल आया जिस मीटिंग में काजी उपस्थित ही नहीं हुए थे।
मामला कोर्ट में पहुंचा और काजी ने उतना भत्ता जमा कर दिया। जिससे ये स्पष्ट हो गया कि उन्होंने फर्जीवाड़ा किया है। जिसको लेकर नीचली अदालत ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई। जिसके बाद उन्होंने जमानत लेकर हाईकोर्ट में अपील की। करीब आठ साल से ये मामला चल रहा है। जिसमें अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है।
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