इंदौर। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने निचली अदालत में चल रहे चेक बाउंस के प्रकरण को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि केवल नोटिस तामील करा देने से चेक बाउंस का केस नहीं बनाया जा सकता। परिवादी ने विधि का गलत उपयोग करके कोर्ट का समय खराब किया है। हाई कोर्ट की जस्टिस वंदना कसरेकर की खंडपीठ ने यह फैसला दिया है।
अधिवक्ता राघवेंद्र सिंह रघुवंशी के मुताबिक किशोर शर्मा ने सचिन दुबे पर पांच लाख के चेक बाउंस कराने का आरोप लगाकर निचली अदालत में परिवाद दायर किया था। हाई कोर्ट में इस आधार पर परिवाद खारिज कराने के लिए याचिका दायर की थी कि नोटिस तामील होने के बाद प्राप्ति की रसीद पर सचिन के हस्ताक्षर थे ही नहीं। वहीं, बैंक ने भी चेक क्लियर नहीं होने पर यह टिप्पणी की थी कि आहरणकर्ता बैंक में संपर्क करे और फिर से चेक प्रस्तुत करे।
यह प्रक्रिया हुए बगैर और नोटिस सही पते पर व सही व्यक्ति के हस्ताक्षर हुए बिना ही परिवाद दायर कर दिया गया। हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह फैसला दिया कि किसी पते पर नोटिस तामील कराना ही चेक बाउंस का आधार नहीं हो सकता। अधिवक्ता रघुवंशी के मुताबिक हाई कोर्ट का यह फैसला न्याय दृष्टांत का काम करेगा।