आगर-मालवा। कांग्रेस कार्यालय में की गई तोड़फोड़ मामले में भूमिगत चल रहे भाजयुमो जिलाअध्यक्ष मयंक राजपूत व भाजपा के पूर्व नगर मंडल अध्यक्ष विनोद श्रीपाल सहित 6 भाजपा व युवा मोर्चा के नेताओं को कोर्ट ने जेल भेज दिया। बुधवार को चुनाव खत्म होने के बाद पुलिस ने राजपूत सहित चार को कमलकुंडी क्षेत्र के पास से गिरफ्तार कर लिया था। जबकि विनोद श्रीपाल व एक अन्य ने गुरुवार को थाने में सरेंडर किया था।
पुलिस ने सभी को JMFAC प्रथम श्रेणी अवधेश कुमार श्रीवास्तव की कोर्ट में पेश किया था। इन नेताओं ने अग्रिम जमानत के लिए एडीजे कोर्ट में भी अर्जी लगाई थी। सभी पर 23 नवंबर की रात को कांग्रेस कार्यालय में तोड़फोड़ करने का मामला कांग्रेस प्रत्याशी विपिन वानखेड़े ने दर्ज कराया था।
Objectionable Post डालने से उपजा था विवाद :
वर्तमान सांसद व भाजपा प्रत्याशी मनोहर ऊंटवाल के विरुद्ध अपने आपको कांग्रेस की आईटी सेल का पदाधिकारी बताने वाले शिवराज बना निवासी फतेहगढ़ ने आपत्तिजनक पोस्ट डाली थी। भाजपा प्रत्याशी के पुत्र मनोज ऊंटवाल की शिकायत पर पुलिस ने उसके विरुद्ध केस दर्ज कर लिया था। पोस्ट डालने वाले शिवराज को तलाशने भाजपा कार्यकर्ताओं कांग्रेस कार्यालय पहुंचे थे। शिवराज वहां नहीं मिला, लेकिन इनके बीच कहासुनी हुई।
मामले ने तूल पकड़ा और जिला कांग्रेस अध्यक्ष बाबूलाल यादव की शिकायत पर पुलिस ने भाजयुमो जिलाअध्यक्ष राजपूत, पूर्व मंडल अध्यक्ष विनोद श्रीपाल, भाजपा नेता नितिन परमार, भाजयुमो के मनोज परमार, योगेश योगी, ओम मालवीय, शंभू सिंह, पूर्व पार्षद हेमंत सोनी सहित 8 तथा अन्य पर प्रकरण दर्ज कर लिया था। मामला यहीं नहीं रुका। शुक्रवार रात को कांग्रेस प्रत्याशी विपिन वानखेड़े की पत्नी पूनम ने भी कोतवाली में आवेदन दिया था। इसमें घर आकर अभद्रता करने, जान से मारने की धौंस देने तथा एसिड अटैक करने की बात लिखी थी।
अग्रिम जमानत का आवेदन हो चुका था खारिज
केस दर्ज होने के बाद ऊंटवाल के समर्थक माने जाने वाले ये सभी नेता लगभग भूमिगत हो गए थे। चुनाव प्रचार में भी ये नजर नहीं आए। बताते हैं कि गत मंगलवार को इन्होंने अग्रिम जमानत के लिए एडीजे विधि सक्सेना के यहां अर्जी लगाई थी जो खारिज हो गई। 8 में से 6 लोग ही पेश हुए थे।
ADPO ने किया था जमानत का विरोध
कोर्ट में पुलिस ने आरोपियों को पेश किया था। पेश होने के बाद इन भाजपा नेताओं की ओर से जमानत के लिए अर्जी दी गई थी। इसके बाद कोर्ट ने एडीपीओ अनूप कुमार गुप्ता ने लिखित व मौखिक तर्क देकर जमानत दिए जाने का विरोध किया था। गुप्ता का तर्क था कि घटना के समय आदर्श आचरण संहिता लागू थी। उनका कहना था कि आदर्श आचरण करने के स्थान पर इनके द्वारा इस प्रकार की घटना की गई है। इसलिए इन्हें जमानत नहीं मिलना चाहिए।