क्या भारतीय संविधान को फिर से लिखने का समय आ गया है ? सी बी आई को कुछ राज्यों द्वारा नकारे जाने के बाद ऐसे सवाल उठना लाजिमी हैं | वैसे सी बी आई ही नहीं संविधान में वर्णित सभी संस्थाओं की गिरती साख को लेकर इस सवाल के हाँ के पक्ष में बहुत से लोग खड़े दिखते हैं | सी बी आई, आर बी आई, नियंत्रक महालेखा परीक्षक जैसे संस्थानों पर निरंतर उँगलियाँ उठती रही हैं | सरकार भी अध्यादेश के जरिये कानून बन चुके सर्वोच्च न्यायालय के फैसले बदलने में कोताही नहीं बरतती है | संस्थाएं जिस तरह सवालिया घेरे में आ रही है, समाज में जिस तरह का माहौल है उसमें मात्र एक ही विकल्प है संविधान में वर्णित इन संस्थाओं और संविधान पर पुनर्विचार |
जिस तरह आंध्र प्रदेश सरकार ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए उस 'आम सहमति' के खिलाफ जाने का फैसला लिया है जिसमें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को राज्य में किसी तरह की जांच या ऑपरेशन के लिए पहले उसे राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी| केंद्र और राज्य सरकार के आपसी सम्बन्ध, संविधान में वर्णित संस्थाओं और संविधान पर पुनर्विचार का ही रास्ता खोलता है | अभी नहीं पहले भी राज्यों ने अनेक बार केंद्र सरकार और उसके अधीन संस्थाओं पर सवाल खड़े किये हैं|
आंध्र में लिए गये इस फैसले का अर्थ यह हुआ कि सीबीआई अधिकारियों को अब से किसी भी आधिकारिक काम के वास्ते राज्य में प्रवेश करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी|आंध्र के कई शीर्ष अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद राज्य सरकार ने इस संबंध में इसी हफ्ते एक अधिसूचना जारी करते हुए सीबीआई के साथ भरोसा खत्म हो जाने की बात कही थी|हालांकि सीबीआई को इस संबंध में किसी तरह का पत्र प्राप्त नहीं हुआ है| इस तरह का नोटिफिकेशन मिलने की स्थिति में सीबीआई फैसले के खिलाफ कानूनी सहारा ले सकती है| पर कब तक ?माना जा रहा है कि चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई वाली टीडीपी सरकार के एनडीए से अलग होने के बाद केंद्र से राज्य सरकार के संबंध काफी खराब हो गए है |
वैसे यह भी एक राजनीतिक पेंच है | चन्द्र बाबू भाजपा से नाराज विपक्षी दलों को एकजुट करने में जुटे हैं| उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और वाईएसआर कांग्रेस मिलकर राज्य सरकार को अस्थिर कर रहे हैं|नायडू के इस फैसले का कांग्रेस ने भी समर्थन किया है| कांग्रेस के नेता पीसी चाको ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू ने किया है उसे हर राज्यों को करना चाहिए| अगर कानून की व्यवस्था है तो राज्य अपने स्टैंड ले सकते हैं|पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नायडू के इस कदम का समर्थन किया और कहा कि उन्होंने अपने राज्य में सीबीआई को प्रवेश की अनुमति नहीं देकर सही काम किया है| ममता का कहना है कि सीबीआई बीजेपी के इशारे पर काम कर रही है| उन्होंने कहा है कि, 'चंद्रबाबू नायडू ने जो किया वो सही है| सीबीआई को बीजेपी से दिशा-निर्देश मिल रहे हैं|’ सवाल यह है कि ऐसा क्या पहली बार हो रहा है ? और किस सरकार ने ऐसा नहीं किया | यह सवाल हर सरकार में हर बार उठा है |पिछले महीने में ऐसा ही एक मामला दिल्ली के हाईकोर्ट में आया था, जिसमें सीबीआई ने चंडीगढ़ में किसी भी तरह की जांच के लिए सरकार से अनुमति लेने के फैसले के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था| तब दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राज्य में दर्ज केस के अलावा सीबीआई को अन्य किसी भी मामले के लिए ऐसी किसी अनुमति की जरूरत नहीं है|
सवाल सी बी आई पर उठे बवाल का नही समग्र रूप से विचार का है और जिसकी जद में सारा संविधान है |
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।