लो, झुक गये हायकमान भी | EDITORIAL by Rakesh Dubey

Bhopal Samachar
मध्यप्रदेश विधान सभा का चुनावी मुकबला दिलचस्प होता जा रहा है | भाजपा की घोषित सूची से कार्यकर्ता खुश नहीं है तो कांग्रेस की सूची का इंतजार उसके कार्यकर्ताओं को नागवार गुजर रहा है | आयाराम- गयाराम के दौर का असर मुख्यमंत्री निवास तक पहुंच गया है | मुख्यमंत्री के साले संजय सिंह का कांग्रेस में जाना और यह कहना कि अब मध्यप्रदेश को शिवराज की नहीं कमलनाथ की जरूरत है, भाजपा के लिए चेतावनी है | भविष्य में कुछ और बड़े नाम भी इधर से उधर हो सकते हैं | कांग्रेस कार्यकर्ता प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ  के उस बयान में अपना अक्स और भविष्य खोज रहे हैं जिसमे कमलनाथ ने कहा है कि “गुंडा- बदमाश सब चलेगा, बस जीतने वाला उम्मीदवार चाहिए |”

अभी तक की गतिवधि यह कहती है कि प्रदेश की राजनीति एक नये दौर में जा रही है | इस दौर में हाय कमान का महत्व कम होता दिख रहा है | जैसे भाजपा के अब तक घोषित १७६  प्रत्याशी के लिए चले मंथन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सर्वे को तवज्जो मिली। केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और शिवराज की आधे घंटे की मुलाकात ने टिकट से जुड़े समीकरण बदल दिए। मुख्यमंत्री की ओर से शाह को जीत का पूरा भरोसा दिलाया गया, जिसके बाद पहली सूची में अधिकतर नाम तय हुए। भोपाल की उत्तर व गोविंदपुरा, इंदौर की लगभग सभी सीटों और जबलपुर शहर की कुछ सीटों की उलझन अब तक ज्यों की त्यों  है। बाबूलाल गौर और उनकी बहू कृष्णा गौर दोनों ही भाजपा को चुनौती देने के मूड में हैं |

बाबूलाल गौर प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे और केंद्री य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को अपनी मंशा बता चुके है तो कृष्णा ने संघ के कुछ नेताओं से भी संपर्क साधा, लेकिन बात नहीं बनी। संघ ने गोविंदपुरा से पार्टी के प्रदेश महामंत्री विष्णुदत्त शर्मा का नाम आगे बढ़ाया है।

भाजपा की इस सूची में कुछ अजूबे भी हुए हैं | जिनसे कार्यकर्ताओं में नाराजी है और इसका विरोध प्रदेश कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री निवास तक हो रहे , प्रदर्शन हैं | इनमे घोषित नीति के विरुद्ध किया गया आचरण है जो हायक्मान के महत्व को कम करता है | जैसे ३२ परिजनों को टिकट, निष्ठावान कार्यकर्ताओं की जगह हाल ही में जुड़े लोगो को टिकट, सन्गठन में दायित्व लिए कार्यकर्ताओं को टिकटदेना आदि शामिल है |उदाहरण के लिए पीएल तंतुवाय। हटा से भाजपा प्रत्याशी है । ये नया चेहरा हैं और ३२  दिन पहले ही एसबीआई पन्ना से रिटायर्ड हुए हैं। उन्होंने अपनी पत्नी के लिए टिकट माँगा था |उन्हें  विधायक का टिकट मिला है।, उनकी पत्नी भाजपा महिला मोर्चा की जिला उपाध्यक्ष रामकली तंतुवाय ने मांगा था। पीएल तंतुवाय का नाम तो दूर-दूर तक नहीं था।

भाजपा के हाय कमान  से इतर कांग्रेस हाय कमान भी नहीं है | कांग्रेस की सूची अब तक न आना १९९४ की याद दिलाता है जब कांग्रेस ने भोपाल नगर निगम चुनाव में “फ्री फार आल”  कर दिया था |  अब प्रश्न हाय कमान और उनकी भूमिका पर है |
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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