मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के उम्मीदवार नामांकन पत्र जमा कर रहे है। भाजपा और आप पार्टी को छोड़ किसी ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है। अभी तक अनुमान मध्यप्रदेश में मिलीजुली सरकार के दिखते हैं। कांग्रेस के बड़े चेहरे मैदान में नहीं उतर रहे हैं, पर सारे बड़े चेहरे मुख्यमंत्री की दौड़ में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं और उनके समर्थक इस बात को सुनियोजित तरीके से फैला भी रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की ओर से उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के साथ ही तय हो गया कि शिवराज सिंह चौहान और आप पार्टी के आलोक अग्रवाल ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में लड़ेंगे। कांग्रेस के मुख्य चेहरे और मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे दोनों लोकसभा सांसद कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। इसके विपरीत भोजपुर से कांग्रेस उम्मीदवार सुरेश पचौरी के समर्थक उन्हें विजयी और मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार मान बैठे हैं। वैसे कांग्रेस में यह आम बात है कि सुरेश पचौरी के लक्ष्य और राजनीति आम तौर पद सीधे नहीं दिखते हैं।
परम्परा के विपरीत मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियों में सत्तारुढ़ दल भाजपा ने आगे रहते हुए अपने 177 विधानसभा उम्मीदवारों की पहली सूची इस बार जारी की। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को फिर से उनके गृह जिले सीहोर की बुधनी सीट से मैदान में उतारा है। वे किसी एक और स्थान से भी नामांकन दाखिल कर सकते हैं।
शिवराज सबसे पहले बुधनी से १९९० में विधायक चुने गए थे लेकिन इसके बाद १९९१ में अटल बिहारी वाजपेयी के विदिशा लोकसभा सीट छोड़ने के कारण वहां हुए उपचुनाव में जीतकर सांसद बने थे। इसके बाद चौहान१९९६ , १९९८ , १९९९ और २००४ के लोकसभा चुनाव विदिशा से लगातार जीतते रहे। साल २००५ उनके लिए बदलाव लेकर आया जब उन्हें मध्यप्रदेश में बाबूलाल गौर को हटाकर मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद २००६ में अपनी पुरानी सीट बुधनी से उपचुनाव जीतकर वह प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने।
शिवराज ने लगातार २००८ और २०१३ के विधानसभा चुनाव में बुधनी सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा और अब २०१८ के विधानसभा चुनाव, जिन्हें २०१९ के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल कहा जा रहा है, में भाजपा ने एक बार फिर उन्हें बुधनी से उम्मीदवार घोषित किया है।
कांग्रेस ने बुधनी सीट पर पिछले चुनावों में कई प्रयोग किये। २००६ में शिवराज ने बुधनी में कांग्रेस के पूर्व मंत्री राजकुमार पटेल को ३६००० मतों से, २००८ में कांग्रेस के महेश सिंह राजपूत को ४१००० मतों और २०१३ में कांग्रेस के महेन्द्र सिंह चौहान को ८४००० हजार मतों के अंतर से पराजित किया था।कांग्रेस कोई दमदार प्रत्याशी इस सीट से अब तक नहीं खोज सकी है। दिग्विजय सिंह की पत्नी अमृता राय का नाम भी इस क्षेत्र से उछला था अब शायद नेपथ्य में चला गया है। आम आदमी पार्टी ने अपने प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल को भोपाल दक्षिण पश्चिम सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। आप ने अग्रवाल को प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिये अपना चेहरा भी घोषित किया है। कांग्रेस में कब क्या होगा, अनुमान लगाना कठिन है | सुरेश पचौरी के समर्थक भले ही कुछ कहे, शेष क्षत्रप सहज रूप से स्वीकार करेंगे इसमें संदेह है।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।