ग्वालियर। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने फोटोग्राफर केविन कार्टर के उस फोटों की कहानी सुनाते हुए कहा कि जानने के बाद भी किसी को करने के लिए नहीं छोड़ सकता है, जैसे कि एक फोटोग्राफर उस बच्चे को अपने फोटो के लिए गिद्ध के सामने मरने के लिए छोड़ आया था। जबकि वह उसे बचा सकता था। विभाग ने यह नहीं सोचा कि ये शिक्षक इतने कम पैसे में इतने सालों से कैसे गुजारा कर रहे हैं। कोर्ट उस फोटोग्राफर की भूमिका में नहीं रह सकता है।
वर्ष 2003 में दिग्विजय सिंह की सरकार ने प्रदेश में निजी स्कूलों को शासकीय घोषित किया था, लेकिन लेकिन 2003 में कांग्रेस चुनाव हार गई और बीजेपी की सरकार बन गई। नई सरकार ने निजी स्कूलों को शासकीय घोषित करने के फैसले को निरस्त कर दिया। निरस्त करने के फैसले को शिक्षकों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। 2004 में हाईकोर्ट ने नई सरकार के फैसले को निरस्त कर दिया। स्कूलों के शिक्षकों शासकीय शिक्षक के समान वेतन दिए जाने का आदेश दिया।
इस आदेश खिलाफ सरकार ने युगल पीठ में अपील की। वहां से भी हार गए और फिर सुप्रीम कोर्ट से भी सरकार की एसएलपी खारिज हो गई। सरकार के सामने शिक्षकों को लाभ दिए जाने का विकल्प था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर भिंड जिले के गोरमी स्कूल के शिक्षक राम भदौरिया सिंह ने वर्ष 2017 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने शिक्षकों को लाभ दिए जाने का आदेश दिया, लेकिन शासन ने आदेश का पालन नहीं किया। इसके चलते गुरुवार को शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव दीप्ति गौर को तलब कर लिया। प्रमुख सचिव को केविन कार्टर के फोटो का उदाहरण दिया।
रात 7ः45 बजे तक चली सुनवाई
वैसे हाईकोर्ट का समय 4.30 बजे खत्म हो जाता है, लेकिन इस मामले में रात 7.45 बजे तक सुनवाई चली। कोर्ट ने शासन को फटकार लगाते हुए कई सवाल किए, जिसका शासन जवाब नहीं दे पाया।
- स्कूल से शिक्षकों को वर्ष 2003 से 2 हजार रुपए वेतन दिया जा रहा है। वेतन के लिए 15 साल संघर्ष करते हुए हो गए हैं।
- कोर्ट ने सुनवाई के बाद स्कूल शिक्षा विभाग को 12 नवंबर तक शिक्षकों शासकीय वेतन का लाभ देने का आदेश दिया है। अगर शासन पालन नहीं करता है तो कोर्ट दंड देने के लिए स्वतंत्र होगा। यह आखिरी मौका दिया है।
कौन है केविन कार्टर
इथोपिया में भूख व कुपोषण से जूझ रहा था। यहां पर भुखमरी के चलते लोगों की मौत हो रही थी। एक बच्चे के माता पिता खाने की तलाश में घर से चले गए थे। कुपोषित बच्चा झोपड़ी से बाहर निकल आया। उस बच्चे के पीछे एक गिद्ध बैठा हुआ था। 1993 में केविन कार्टर ने वह फोटो खींचा था। फोटो में एक कुपोषित बच्चे के पीछे एक गिद्ध बैठा हुआ था। वह गिद्द बच्चे के मरने का इंतजार कर रहा था। जब यह फोटो प्रकाशित हुआ तो इथोपिया की सच्चाई लोगों के सामने आई। केविन कार्टर को इस फोटो के बदले में उन्हें पुलित्जर पुरस्कार भी मिला था। इस पुरस्कार के दौरान केविन कार्टर का इंटरव्यू किया गया था। इंटरव्यू के दौरान उससे पूछा गया कि उस बच्चे का क्या हुआ। उसने बताया कि फ्लाइट के चलते उस बच्चे को वहीं छोड़ आया था। जबकि वह उसे बचा सकता था। उस फोटोग्राफर को काफी पछतावा हुआ। उसने आत्महत्या कर ली।
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