भोपाल। चुनाव कार्य में लगे कर्मचारियों को डाक मतपत्र के द्वारा वोटिंग करने की सुविधा दी जाती है। 2013 के चुनाव में यह काफी सुखद अनुभव था। कर्मचारियों ने आनंदपूर्वक वोट डाले परंतु 2018 के चुनाव में कुछ जिलों में काफी शिकायतें आ रहीं हैं। रीवा, छतरपुर और शिवपुरी से खबर आ रही है कि यहां प्रशासनिक स्तर पर गडबड़ी गई है।
कर्मचारी सूत्रों का कहना है कि मध्यप्रदेश के ज्यादातर जिलों में इस बार डाक मतदान के लिए कुछ इस तरह के प्रबंध किए गए हैं कि ज्यादा से ज्यादा कर्मचारी मतदान के बिना ही वापस लौट जाएं। कहा जा रहा है कि प्रमोशन में आरक्षण सहित कुछ अन्य मुद्दों को लेकर मध्यप्रदेश के 10 लाख से ज्यादा कर्मचारी शिवराज सिंह सरकार से नाराज हैं। वो निगेटिव वोटिंग करेंगे। इसलिए प्लानिंग की गई कि कर्मचारियों का वोट प्रतिशत ही कम कर दिया जाए। इससे निगेटिव वोट की संख्या भी कम हो जाएगी।
Collectors की तरफ उठ रहीं हैं उंगलियां
रीवा और शिवपुरी में कलेक्टरों की तरफ उंगलियां उठीं हैं। यहां कर्मचारियों को तंग करने वाला सिस्टम बनाया गया। जिस तरीकों से 2013 तक चुनाव होते आए हैं उन्हे बदला गया। कुछ ऐसा किया गया कि कर्मचारी परेशान हो जाए और वोटिंग किए बिना ही वापस लौट जाए। आचार संहिता लागू होने से पहले आधा दर्जन से ज्यादा कलेक्टरों पर भाजपा के लिए काम करने के आरोप लगे हैं।