भोपाल। कार्यालय उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास छिंदवाड़ा द्वारा आउट सोर्स आधार पर नियुक्त किये गए कम्प्यूटर आॅपरेटरों को संचालनालय किसान कल्याण तथा कृषि विकास म.प्र. भोपाल के द्वारा जारी किए गए आदेशों के कारण ठीक चुनाव के समय कार्य से विमुक्त किया गया है। इसी प्रकार आर्थिक एवं सांख्यिकी संचालनालय, मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा दिनांक 10/08/2018 के माध्यम से राज्य शासन द्वारा संविदा अवधि में पुनः वृद्धि नहीं किए जाने के कारण डाटा एंट्री आॅपरेटरों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं हैं।
विभागों के इस प्रकार से तुगलकी फरमान के कारण हजारों कम्प्यूटर आॅपरेटर बेरोजगारी की समस्या सामने खड़ी हो गई है। मध्यप्रदेश कम्प्यूटर आॅपरेटर महासंघ इस प्रकार से जारी आदेशों की कड़ी निंदा करता है। तथा यह आपत्ति दर्ज करता है कि यदि आउट सोर्स के माध्यम से कम्प्यूटर आॅपरेटरों को रखा जाता है तथा विभाग यह भी नहीं देखना पसंद करता है कि आउट सोर्स कंपनी आॅपरेटरों को पेमेन्ट कितना कम देती है। अगर विभाग किसी आउट सोर्स कंपनी को ठेका देता है तो विभाग का है कर्तव्य बनता है कि आउट सोर्स कंपनी आॅपरेटर को उचित पेमेन्ट करता है या नहीं।
मध्यप्रदेश कम्प्यूटर आॅपरेटर महासंघ यह सवाल भी करता है कि क्या आउट सोर्स कंपनी और विभागों के आला अधिकारियों की मिली भगत होती है। जो इस प्रकार से कम्प्यूटर आॅपरेटरों का शोषण किया जाता है, और तो और उनका शोषण करने के बाद उन्हें पूरी तरह से निचोड़ने के बाद उनको बेराजगार करते हुए बेसहारा छोड़ दिया जाता है? मध्यप्रदेश कम्प्यूटर आॅपरेटर महासंघ यह भी सवाल करता है कि यदि शासन द्वारा संविदा अवधि नहीं बढ़ाई गई तो इसका खामियाजा डाटा एंट्री आॅपरेटर को क्यों भुगतना पड़ रहा है और उन्हें बेरोजगार क्यों होना पड़ रहा है।
अतः मध्यप्रदेश कम्प्यूटर आॅपरेटर महासंघ यह सभी विभागों से यह अपील करता है कि सेवा से पृथक किए गए आॅपरेटरों को दोबारा कार्य पर रखा जावे। अन्यथा महासंघ द्वारा आचार संहिता समाप्त होते ही संपूर्ण मध्यप्रदेश में कम्प्यूटरीकृत समस्त योजनाओं के कार्य बंद कर गांधीवादी तरीके से विरोध प्रदर्शन के लिए मजबूर होगा।