जबलपुर। आयुक्त कोष लेखा, पर्यावास भवन को हाई कोर्ट द्वारा नोटिस जारी कर पूछा गया है कि ब्रह्मस्वरूप समिति की सिफारिश के अनुसार वित्त विभाग के द्वारा बढ़़े हुए वेतन के काल्पनिक लाभ नियुक्ति तिथि से देने के आदेश की व्याख्या का क्या अधिकार है अधीनस्थ अधिकारी को।
उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत, बहुद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं अन्य कर्मचारियों की पांचवे वेतनमान की विसंगति दूर करने हेतु, राज्य शासन द्वारा, ब्रह्मस्वरूप समिति का गठन किया गया था। समिति की अनुसंशा के अनुसार, बहुद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता, सहित अन्य कर्मचारियों के वेतन का उन्नयन किया गया था। विसंगति उन्मूलन के पश्चात, वास्तविक लाभ 1/04/2006 से दिया जाना था। उपरोक्त संबंध, में वित्त विभाग द्वारा आदेश जारी किया गया था। आदेश दिनांक 24/1/2008 के पालन में, उन्नयन किये गए वेतनमान की काल्पनिक गणना पूर्व नियुक्ति तिथी, से की जाकर, वास्तविक लाभ दिनांक 1/04/2006 से दिया जाना था।
स्वास्थ्य कर्मचारी संघों की मांग के पश्चात, आयुक्त कोष लेखा, पर्यावास भवन द्वारा, स्पष्टीकरण दिनाँक 26/02/2018 जारी कर, आदेश दिनांक 24/1/2008 की व्याख्या की गई, जिसमे की मात्रा समयमान प्रदाय हेतु 10 एवं 20 वर्ष नियुक्ति दिनाँक से सेवा अवधि की गणना की बात की गई, जबकि, आदेश दिनाँक 24/01/2008 के अनुसार, जिन कर्मचारियों के वेतन का उन्नयन ब्रम्हस्वरूप समिति की सिफारिश के अनुसार आदेश दिनाँक 5/10/2006 को किया गया था, उन्हें बढ़े हुए वेतन का समयमान प्रदाय हेतु, काल्पनिक गणना नियुक्ति तिथि से की जानी थी। परंतु, उपरोक्त लाभ से कई संवर्गों को अपात्र किया गया। तत्पश्चात, दिनाँक 4/06/2018 को पुनः भ्रामक स्पष्टीकरण जारी किया गया।
उपरोक्त आदेशों से व्यथित होकर, देवास जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, वरोठा, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पताड़ी जिला देवास, में कार्यरत श्री रमेश चंद्र मालवीय (बहुद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता) द्वारा हाई कोर्ट जबलपुर के समक्ष रिट याचिका दायर कर स्पष्टीकरण दिनांक 26/02/18, एवम 4/06/18 को चुनौती दी गई थी। उपरोक्त याचिका में, सुनवाई के दौरान, याचिककर्ता के अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी के तर्कों से सहमत होकर, माननीय हाई कोर्ट जबलपुर ने, वित्त प्रधान सचिव, आयुक्त कोष लेखा सहित, अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर किया है।