ग्वालियर। शिवराज सिंह सरकार ने वोट के लिए गरीबों के घरों तक तो बिजली पहुंचाई परंतु सरकारी स्कूलों को फ्री वाले बिजली कनेक्शन नहीं दिए। भला हो चुनाव आयोग का। उसने सरकारी स्कूलों को पोलिंग बूथ बनाया तो बिजली कंपनी को वहां कनेक्शन भी देना पड़ा।
विधानसभा चुनाव से पहले जिले के 1200 सरकारी स्कूलों में बिजली पहुंच गई है। इन स्कूलों में बिजली कंपनी ने स्थायी कनेक्शन दे दिए हैं। इसका लाभ स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 70 हजार छात्र-छात्राओं को मिलेगा। शिक्षा विभाग इन स्कूलों काे अब स्मार्ट स्कूल के रूप में विकसित करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए चिन्हित स्कूलों में कंप्यूटर पहुंचाए जा रहे हैं। चुनाव के दौरान मतदान केंद्र के रूप में इन स्कूलों का उपयोग होना है, इसलिए स्कूलों में बिजली पहुंचाने का काम पिछले तीन माह में तेजी से किया गया।
गौरतलब है कि एक साल पहले स्कूल शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों को स्थायी बिजली कनेक्शन दिलाने की कोशिशें शुरू की थीं। शहरी क्षेत्र के कुछ प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में बिजली कनेक्शन दे दिए गए थे, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में न कनेक्शन था न बिजली। बिजली कंपनी कनेक्शन संबंधित स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के नाम देने को तैयार थी, लेकिन शिक्षक इसके लिए तैयार नहीं थे। जब चुनाव के लिए मतदान केंद्रों में सुविधाएं जुटाने की कवायद शुरू हुई तो अफसरों को पता चला कि जिन स्कूलों में मतदान केंद्र बनाए जा रहे हैं, वहां पर स्थायी बिजली कनेक्शन ही नहीं है। इसके बाद आनन-फानन में स्कूलों में बिजली कनेक्शन कराने का काम शुरू कर दिया गया।
विभागीय सूत्रों के अनुसार अगस्त, सितंबर और अक्टूबर महीने में 1200 प्राइमरी और मिडिल स्कूलों को बिजली कनेक्शन मिल चुका है। कुछ स्कूलों में बिजली फिटिंग का काम भी पूरा हो गया है। 86 ऐसे स्कूल हैं, जहां मतदान केंद्र बने हैं लेकिन बिजली कनेक्शन नहीं हैं। इन स्कूलों में अस्थायी बिजली कनेक्शन की व्यवस्था की गई है।
सरकारी स्कूलाें में बिजली कनेक्शन प्रधानाध्यापक के नाम से दिया जाना था और वह अपने नाम से कनेक्शन लेने के लिए तैयार नहीं थे। प्रधानाध्यापकों को डर था कि बिजली कंपनी यदि स्कूल पर रिकवरी निकालेगी तो वह हमारे नाम से होगी। यदि बाद में यह पैसा नहीं भरा गया तो हमें रिटायरमेंट के बाद भी परेशानी झेलनी पड़ेगी। इस समस्या के सामने आने के बाद अधिकारियों ने प्रधानाध्यापकों काे समझाया कि ऐसा नहीं होगा। कनेक्शन के अलावा हर माह बिजली बिल का भुगतान करने के लिए सरकार फंड देगी। इसके बाद प्रधानाध्यापक तैयार हुए।
छात्रों को यह होंगे फायदे
भितरवार के सहारन मिडिल स्कूल के हेडमास्टर इंद्रवीर तिवारी के मुताबिक स्कूल का भवन 2006 में बना था तब से बिना बिजली के ही स्कूल चल रहा था। छात्र परेशान होते थे। एक महीने पहले बिजली कनेक्शन मिला है।
पहले कक्षाओं में अंधेरा रहता था, अब मीटर लग गया है
डबरा के शरणागत मिडिल स्कूल के हेडमास्टर रंजीत तिवारी कहते हैं कक्षाओं में अंधेरा रहता था, एक महीने पहले बिजली का कनेक्शन हो गया है अब जल्द ही बिजली फिटिंग करवा लेंगे। स्कूल में 70 छात्र हैं।