भोपाल। HDFC ERGO: General Insurance Company India के सेवा में कमी की दोषी पाई गई है। आरोप है कि उसने बीमित व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी को तंग किया। उपभोक्ता फोरम ने कंपनी को फटकार भी लगाई और बीमा रकम के साथ हर्जाना अदा करने का आदेश दिया। उपभोक्ता फोरम ने सख्त लहजे में कहा-बीमा कंपनियों को बीमा देते समय नियम-कायदे नहीं याद आते हैं। उस वक्त वे उपभोक्ताओं को बहुत सारे लाभ दिलाने का भरोसा दिलाते हैं और क्लेम देने के समय ऐसे दस्तावेजों की मांग करते हैं जिनके बारे में आवेदकाें को जानकारी ही नहीं होती है।
एचडीएफसी अरगो जनरल इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ पहुंचे एक मामले में सुनवाई करते हुए फोरम के अध्यक्ष न्यायाधीश आरके भावे और सुनील श्रीवास्तव पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर क्लेम की राशि 6 लाख 24 हजार 996 रुपए 9 प्रतिशत ब्याज के साथ और हर्जाना 20 हजार रुपए देने के आदेश कंपनी को दिए हैं। इसके साथ ही सुनवाई में हुए खर्चे के 5 हजार रुपए देने के आदेश दिए।
गोविंदपुरा निवासी ललिता मेश्राम ने 24 मई 2016 में एचडीएफसी अरगो जनरल इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ शिकायत की थी। इसमें कहा गया कि उनके पति ने 2014 में अनावेदक बीमा कंपनी से दो बीमा पॉलिसी खरीदी थी। दोनों पॉलिसी की मेच्योरिटी वैल्यू 6 लाख 24 हजार 996 रुपए थी ।
उनके पति की 19 अक्टूबर 2014 को हार्टअटैक से मौत हो गई। डॉक्टर ने मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट बताई थी जिसकी वजह से पुलिस ने उनके बिसरे की जांच नहीं कराई। बीमा कंपनी पोस्टमार्टम रिपोर्ट को साक्ष्य मानने से इंकार कर दिया। कंपनी बिसरा रिपोर्ट के अभाव में क्लेम राशि देने तैयार नहीं है।
Insurance Claim के निराकरण में बिसरा रिपोर्ट जरूरी
बीमा कंपनी की ओर से एडवोकेट अमित तिवारी की ओर से फोरम में कहा गया कि ललिता मेश्राम की ओर से पति की मौत की सूचना देरी से दी जो कि बीमा शर्तों का उल्लंघन है। बिसरा रिपोर्ट नहीं दी जो कि क्लेम के निराकरण के लिए वह जरूरी है। बीमा कंपनी ने दावा खारिज करके कोई सेवा में कमी नहीं की है।