मैथेमेटीशियन प्रोफेसर राजीव लक्ष्मण करंदीकर। प्रो. राजीव चेन्नई मैथेमेटिकल इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर हैं। इंदौर के सेंट पॉल स्कूल और होलकर साइंस कॉलेज से पढ़े हैं। शुक्रवार को IIM में हुई टॉक सीरीज़ एनालिटिकल विद एनालिस्ट्स में राजीव की नोट स्पीकर थे। उन्होंने एनालिटिकल पर बात की।
अधिकतर बच्चों में Maths Phobia के बारे में राजीव कहते हैं
बच्चों में मैथ्स को लेकर डर होने की सबसे बड़ी वजह है नीरस ढंग से मैथ्स पढ़ाना।
बोरिंग अंदाज़ में मैथ्स पढ़ाते हैं टीचर्स। बच्चे रिलेट कैसे करेंगे।
मेरे पिता मैथ्स प्रोफेसर और स्ट्री प्रोफेसर थे।
डैड ने कभी स्कूल बुक लेकर मैथ्स नहीं नहीं पढ़ाया मुझे।
एक छोटा सा उदाहरण देता हूं :
पहले रेलवे के टिकट पर बर्थ नंबर होता था। मान लीजिए लिखा है बर्थ नंबर 16, अब अपर है या लोअर है से कैसे पता करेंगे, लेकिन इसका भी लॉजिक था। पैटर्न होता था। मेरे पिता मुझसे कहते थे यही बर्थ बताने को। मुझे बड़ा इंट्रेस्टिंग लगता था। मेरे जवाब देने पर वो पूछते थे आर यू श्योर। मैं यकीन से कहता बिलुकल। वो मेरे लॉजिक पर भरोसा करते और जब वो सही निकलता तो शाबाशी देते। मैथ्स का मतलब ही है फाइंडिंग पैटर्न्स और लॉजिकल थिंकिंग।
KIDS हमेशा कुछ ऐसा करना पसंद करते हैं।
नेगेटिव रीइनफोर्समेंट एट होम इज़ रॉन्ग फॉर किड्स। बच्चे हमेशा कुछ ऐसा करना पसंद करते हैं जिससे उसके पेरेंट्स हैरत में आ जाएं। शाबाशी दें। टीचर्स बोर्ड पर कुछ लिखकर बताने के बजाए वो चीजें सामने लाकर पढ़ाएं जो बच्चों को पसंद हैं। मैथ्स प्रकृति के बीच ले जाकर पढ़ाइए। फोबिया नहीं होगा बच्चों को।