भोपाल। मध्यप्रदेश चुनाव 2018 में भारी तामझाम और प्रचार अभियान के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं के हाथ पांव फूले हुए हैं। एक अनुमान है कि करीब 25 सीटों पर संकट की स्थिति है। इससे निपटना जरूरी है। हालात यह हैं कि आधी रात को भाजपा के दिग्गज नेताओं की आपात मीटिंग आयोजित की गई। इस मीटिंग में प्रदेश प्रभारी डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे और संगठन महामंत्री रामलाल, संगठन मंत्री सुहास भगत सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे।
निष्कासित नेताओं से फिर होगी बातचीत
सूत्रों का कहना है कि संघ ने फीडबैक दिया है कि बागी प्रत्याशी भाजपा की हार का कारण बन सकते हैं। बागियों में सबसे बड़ा नाम रामकृष्ण कुसमरिया का है जो दमोह एवं पथरिया से चुनाव लड़ रहे हैं। फीडबैक आया है कि रामकृष्ण कुसमरिया दमोह में काफी नुक्सान पहुंचा रहे हैं जबकि पथरिया में भी भाजपा की हार का कारण बनेंगे। इनके अलावा जबलपुर उत्तर से धीरज पटेरिया, पुष्पराजगढ़ से सुदामा सिंह, ग्वालियर में समीक्षा गुप्ता की सीटों पर भी भाजपा कमजोर बताई गई है। भाजपा के वोट बंट रहे हैं। अत: तय किया गया कि रामकृष्ण कुसमरिया को एक बार फिर मनाया जाएगा। धर्मेंद्र प्रधान ने इसका जिम्मा उठाया है। प्रधान इसके अलावा सभी बागी, निष्क्रीय एवं निष्कासित नेताओं से बात करेंगे।
जातिगत समीकरणों को साधने की रणनीति
नेताओं का मानना है कि इस चुनाव में जातिगत समीकरणों को साधना जरूरी है। सवर्ण आंदोलन का नुक्सान भी भाजपा को होगा। लोग खुलकर भाजपा के साथ नहीं आ रहे हैं अत: भाजपा दहशत में है। अब जातिगत मतदाताओं को साधने के लिए छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के नेता मैदान में उतारा गया है।