भोपाल। मध्यप्रदेश में इस बार मुस्लिम समाज सिर्फ वोटबैंक रह गया है। भाजपा ने 230 में से सिर्फ 1 मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारा जबकि कांग्रेस ने केवल 3 को टिकट दिया। इस तरह 40 सीटों पर प्रभाव रखने वाले मुस्लिम समाज के खाते में सिर्फ 4 टिकट आए। दोनों ही पार्टियां इस बार हिंदुत्व की रेस लगा रहीं हैं।
एमपी की कुल 5 करोड़ 34 लाख आबादी में 11 फीसदी मुसलमान हैं। कांग्रेस पर तुष्टिकरण की नीति अपनाने का आरोप लगता है लेकिन कांग्रेस ने इस बार सिर्फ 3 मुस्लिम प्रत्याशियों पर भरोसा जताया। इनमें से भी एक तो आरिफ अकील हैं, जो भोपाल उत्तर से 1998 से लगातार जीतते आ रहे हैं।
मुस्लिम समुदाय को अब तक सबसे ज़्यादा प्रतिनिधित्व 1980 में मिला था जब कांग्रेस ने 20 प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। उनमें से 14 जीत कर आए थे। बाबरी मस्जिद विवाद के बाद 1993 में हुए चुनाव में एक भी मुस्लिम कैंडिडेट जीत नहीं पाया था। उन हालात में तत्कालीन सीएम दिग्विजय सिंह ने एजी कुरैशी और इब्राहम कुरैशी को 6-6 महीने के लिए मंत्री बनाया था। 1998 में आरिफ अकील ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की और तब से वह लगातार भोपाल उत्तर सीट से विधायक चुने जा रहे हैं।
बीजेपी ने इस बार सिर्फ एक मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट दिया है। महिला प्रत्याशी फातिमा सिद्दीक़ी को भोपाल उत्तर से आरिफ अकील के सामने उतारा है। इससे पहले बीजेपी ने 2013 में भी अकील के सामने मुस्लिम कैंडिडेट उतारा था लेकिन उससे पहले 2008 और 2003 में उसने किसी को टिकट नहीं दिया।
कांग्रेस ने इस बार तीन मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। भोपाल उत्तर से आरिफ अकील, सिरोंज से मुसर्रत शाहिद और भोपाल मध्य से आरिफ मसूद। प्रदेश की मालवा, निमाड़ और भोपाल संभाग की 40 सीटों पर हैं मुस्लिम मतदाता ज़्यादा हैं। सबसे ज्यादा 60 फीसदी मुस्लिम मतदाता भोपाल उत्तर सीट पर हैं।