जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पूर्व आदेश की नाफरमानी के रवैये को आड़े हाथों लेते हुए आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र आयरिन सिंथिया सहित अन्य को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया। इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है।
न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान अवमानना याचिकाकर्ता सीहोर निवासी रमेश चन्द्र पवार सहित 24 की ओर से अधिवक्ता श्रीमती सुधा गौतम ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि अवमानना याचिकाकर्ता राज्य शिक्षा केन्द्र अंतर्गत अनुदेशक के पद पर कार्यरत थे। वर्ष 2000 में राज्य शासन ने औपचारिकेत्तर शिक्षा पर विराम लगा दिया। इसी के साथ याचिकाकर्ता बेरोजगार हो गए। 2008 में राज्य शासन ने गुरुजी पात्रता परीक्षा का आयोजन किया। साथ ही निर्धारित किया कि जो पूर्व अनुदेशक इस परीक्षा में उत्तीर्ण होंगे उन्हें संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 बतौर नियुक्ति दी जाएगी।
राज्य शासन की ओर से 5 अक्टूबर 2009 को एक नया सर्कुलर जारी करते हुए अपनी पहले की बात को काट दिया गया। इस वजह से पूर्व अनुदेशक गुरुजी पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 बनने से वंचित हो गए। हालांकि उनकी यह समस्या उस समय लगभग दूर हो गई जब हाईकोर्ट के जस्टिस आलोक आराधे के बाद जस्टिस सुजय पॉल की एकलपीठ ने भी अपने आदेशों के जरिए 5 अक्टूबर 2009 वाले सर्कुलर को निरस्त कर दिया। इस जानकारी को रिकॉर्ड पर लेकर जस्टिस वंदना कासरेकर की एकलपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए 30 दिन के भीतर संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 बनाए जाने के निर्देश जारी किए थे। जब उस आदेश का निर्धारित अवधि में पालन सुनिश्चित नहीं किया गया तो अवमानना याचिका के जरिए हाईकोर्ट की शरण ले ली गई।