भोपाल।
मुख्यमंत्री मामा शिवराज सिंह चौहान के मध्यप्रदेश में बच्चों की मौत का
आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। अब मामा का मध्यप्रदेश देश का तीसरा ऐसा राज्य है
जहां सबसे रोड एक्सीडेंट में सबसे ज्यादा बच्चों की मौत हुईं। इसमें स्कूल
बसों के एक्सीडेंट भी शामिल हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार 2017 में 10,177
लोगों की असमय मौत हुई। वर्ष 2016 में मौत का ये आंकड़ा 9646 था। सड़क
परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट में बच्चों
(18 वर्ष से कम) की मौत का चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है।
पत्रकार
श्री विशाल त्रिपाठी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में मप्र के भीतर हुए
सड़क हादसों में 962 बच्चों की मौत हो गई। इस आंकड़े के साथ मप्र, देश का
तीसरा ऐसा राज्य बन गया है, जिसमें सबसे ज्यादा सड़क हादसों में बच्चों की
मौत हुई है। इससे पहले उप्र और सिक्किम का नाम आया है। ये विश्लेषण नेशनल
सेंटर फॉर ह्यूमन सेटलमेंट्स एंड एन्वॉयरमेंट (एनसीएचएसई) ने किया है।
बढ़ते
सड़क हादसों और उनमें होने वाली मौतों को रोकने के लिए सभी राज्य सरकारों
को वर्ष 2016 में निर्देश जारी किए थे। कहा था कि सड़क सुरक्षा नीति बनाकर
सभी राज्य सड़क हादसों में दो फीसदी की कमी लाएं फिर इसी नीति को ध्यान में
रखकर आने वाले दो वर्षों यानी 2018 तक सड़क दुर्घटनाएं 50 फीसदी तक कम
करें। नीति के तहत पुलिस, आरटीओ, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम, शिक्षा विभाग और
स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी तय की गई, जो केवल कागजी ही साबित हो रही
है।
उप्र, सिक्किम में सबसे ज्यादा बच्चों ने जान गंवाई :
18
वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौत का सबसे बड़ा आंकड़ा उप्र में सामने आया
है। वर्ष 2017 में भारत में 9000 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई, जो कुल मौत
का 6.4 फीसदी है। इनमें सबसे ज्यादा उप्र और सिक्किम में 11.5 फीसदी बच्चों
की जान चली गई। मप्र में ये आंकड़ा 9.5 फीसदी है।
सड़क पर पैदल चलने वाले भी महफूज नहीं :
प्रदेश
की सड़क पर पैदल चलने वाले 1280 लोगों की हादसे में मौत हो गई। दो पहिया
सवार 3733 और चार पहिया सवार 1692 लोगों ने प्रदेश की सड़कों पर अपनी जान
गंवा दी। बड़े वाहनों ने 1657 लोगों को मार डाला है।
राष्ट्रीय प्राथमिकता घोषित हो सड़क सुरक्षा :
एनसीएचएसई
के डायरेक्टर जनरल प्रदीप नंदी ने कहा कि यह उचित समय है कि सरकार हादसों
में हो रही मौत के बढ़ते आंकड़े को ध्यान में रखकर सड़क सुरक्षा को एक
राष्ट्रीय प्राथमिकता घोषित करे। उन्होंने संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में
मोटर वाहन संशोधन विधेयक-2017 पारित करने की मांग भी की है।
राजधानी में ट्रैफिक पुलिस ने हादसों में मौत की दस वजह बताईं :
राजधानी
में वर्ष 2017 में कुल 3393 सड़क हादसे हुए। इनमें 252 लोगों को अपनी जान
गंवानी पड़ी। भोपाल ट्रैफिक पुलिस की हालिया रिसर्च में इन हादसों की 10
प्रमुख वजह सामने आई हैं। इनमें से आठ कारणों में से ड्राइवर की गलती, पैदल
चलने वाले की गलती, सवारी की गलती, गाड़ी की खराबी, रोड इंजीनियरिंग की
खामी, खराब रोड, आवारा मवेशियों का सड़क पर होना, अन्य कारण रहे। हालांकि,
288 एक्सीडेंट ऐसे थे, जिनमें 39 लोगों की मौत हो गई, लेकिन पुलिस इन
हादसों की वजह ही पता नहीं कर सकी है।
प्रदेश में कुल सड़क हादसे 57532
घायल हुए 53399
मौत 10177
18 वर्ष से कम उम्र के 962
19-35 वर्ष के 5303
35-60 3352
60 से ज्यादा 560
अन्य उम्र के 4848