हेमंत यादव/मुंगावली। आगामी 28 नवंबर को होने वाले चुनाव में एक बार फिर तीसरे मोर्चे के दल खेल बिगाड़ेंगे। इस बार भाजपा से बागी हुए मलकीत सिंह संधू सामान्य और पिछड़े वर्ग का संगठन 'सपाक्स पार्टी" से मैदान में है। बहुजन समाज पार्टी कमलेश दांगी, समाजवादी पार्टी और आप पार्टी की मौजूदगी से भी वोटों के समीकरण बिगड़ेंगे। राजनीतिक पंडितों की मानें तो इससे दोनों दलों को नुकसान उठाना पड़ेगा। प्रदेश कांग्रेस ने पूरी कोशिश की थी कि वोटों का बिखराव रोकने के लिए बसपा-सपा के साथ गठबंधन किया जाए, लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
ये दल देखने में भले ही छोटे दिखें पर पिछले तीन चुनाव में बीएसपी ने 10 से 12 हजार वोट प्राप्त किये थे। वहीं पार्टी ने इस बार पिछड़े वर्ग के कमलेश दांगी जो टिकिट देकर कड़ा दाव खेला है, क्योंकि वह जिस वर्ग से आते है, उस वर्ग के ही दस से बारह हजार मतदाता है। इसके साथ ही एससी, एसटी वर्ग के 42 हजार मतदाता है। अगर इनके वोट अगर हाथी को एकजुट होकर मिल जाये तो इनकी जीत की संभावना अधिक है। इस बार मतदाताओं का भाजपा, कांग्रेस से विरोध के चलते हाथी की तरफ झुकाव ज्यादा दिख रहा है।
इस चुनाव में सवाल ये है कि तीसरा मोर्चा किसे नुकसान पहुंचाएगा। एट्रोसिटी एक्ट और पदोन्न्ति में आरक्षण के विरोध के बाद बने 'सपाक्स' के प्रत्याशी भी इस सीट पर वोट लेंगे। भाजपा का दावा है कि ये सारे दल कांग्रेस के ही वोट बैंक में सेंध लगाएंगे। वहीं कांग्रेस का दावा है कि हमें कोई नुकसान नहीं होने वाला है। कुल मिलाकर देखा जाए तो ये दल जिताऊ प्रत्याशियों के लिए सिरदर्द बनेंगे, जहां हार जीत का अंतर कम होगा।